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श्रावण मास हिंदू धर्म में विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित महीना होता है। इस महीने के प्रत्येक सोमवार को ‘श्रावण सोमवार व्रत’ रखा जाता है, जिसे शिवभक्त बड़ी श्रद्धा और आस्था से मानते हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि श्रावण सोमवार की पूजा कैसे करें, व्रत की विधि क्या है, कथा क्या है और इस दिन कौन-कौन से मंत्र पढ़े जाते हैं। यह लेख आपको घर पर सरलता से श्रावण सोमवार व्रत करने में मदद करेगा।
श्रावण सोमवार क्या होता है और इसका धार्मिक महत्व
श्रावण सोमवार वह दिन होता है जब भक्त विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा और व्रत करते हैं। स्कंद पुराण और शिव पुराण जैसे ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि श्रावण मास में भगवान शिव पृथ्वी पर विशेष रूप से उपस्थित रहते हैं और अपने भक्तों की प्रार्थना तुरंत स्वीकार करते हैं। सोमवार का दिन स्वयं भगवान शिव को समर्पित होता है, और जब यह श्रावण महीने में आता है, तब इसकी शक्ति और फल कई गुना बढ़ जाती है।
श्रावण सोमवार क्यों मनाया जाता है?
श्रावण सोमवार मनाने का उद्देश्य भगवान शिव को प्रसन्न करना, उनके आशीर्वाद से जीवन की कठिनाइयों को दूर करना और मोक्ष प्राप्ति की कामना करना है। ऐसा माना जाता है कि इस मास में शिवलिंग पर जल और बेलपत्र चढ़ाने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है। कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए और विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र व सुखमय दांपत्य जीवन के लिए यह व्रत करती हैं।
हिंदू धर्म में श्रावण मास का महत्व
श्रावण मास वर्षा ऋतु का समय होता है जब जल प्रचुर मात्रा में होता है। यह समय पवित्रता, शुद्धता और तपस्या के लिए उपयुक्त माना गया है। धर्मशास्त्रों के अनुसार, समुद्र मंथन के समय जो विष निकला था, उसे भगवान शिव ने श्रावण महीने में अपने कंठ में धारण किया था। अतः यह महीना शिव की सहनशीलता, तप और भक्ति का प्रतीक है।
श्रावण सोमवार 2025 की तिथि, व्रत का समय और शिवामूठ की जानकारी
श्रावण मास 2025 में दक्षिण भारत में 11 जुलाई से 9 अगस्त और उत्तर भारत में 25 जुलाई से 22 अगस्त तक रहेगा। नीचे उत्तर भारत के अनुसार श्रावण सोमवार की तिथियाँ दी गई हैं:
- पहला श्रावण सोमवार: 28 जुलाई 2025 – इस दिन शिवामूठ चावल की होती है। भगवान शिव को चावल अर्पित कर अभिषेक किया जाता है।
- दूसरा श्रावण सोमवार: 4 अगस्त 2025 – इस दिन शिवामूठ तिल्ली की होती है, जिसमें भगवान शिव को तिल्ली (काले तिल) चढ़ाए जाते हैं।
- तीसरा श्रावण सोमवार: 11 अगस्त 2025 – इस दिन शिवामूठ मूँग की होती है, मूँग के दानों से अभिषेक किया जाता है।
- चौथा श्रावण सोमवार: 18 अगस्त 2025 – इस दिन शिवामूठ जौ की होती है और भगवान शिव को जौ किए जाते हैं।
पूजा का शुभ मुहूर्त: प्रातः 04:30 AM से प्रातः 07:00 AM के बीच ब्रह्ममुहूर्त में पूजा करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
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श्रावण सोमवार व्रत की पूजा विधि: चरण दर चरण मार्गदर्शन
- सुबह जल्दी उठें: ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें।
- साफ वस्त्र पहनें: सफेद या पीले रंग के वस्त्र शुभ माने जाते हैं।
- पूजन स्थल की सफाई करें: शिवलिंग, फोटो या पार्थिव शिवलिंग स्थापित करें।
- पूजा सामग्री रखें:
- गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी, चीनी (पंचामृत हेतु)
- बेलपत्र (108), धतूरा, आक का फूल, भस्म
- अक्षत (चावल), रोली, दीपक, धूपबत्ती
- फल, मिठाई, शुद्ध जल
- शिवलिंग अभिषेक करें:
- सबसे पहले जल और गंगाजल से अभिषेक करें
- इसके बाद दूध, दही, शहद, घी और चीनी से पंचामृत स्नान कराएं
- फिर पुनः गंगाजल से स्नान कराएं
- बेलपत्र 108 बार अर्पित करें
भगवान शिव की पूजा कैसे करें श्रावण सोमवार को?
शिव पूजा का प्रमुख अंग है अभिषेक। शिवलिंग पर अभिषेक करते समय निम्नलिखित क्रम से सामग्री चढ़ाएं:
- जल से शुद्धिकरण
- दूध से सौम्यता
- दही से पवित्रता
- घी से शक्ति
- शहद से माधुर्य
- बेलपत्र 108 बार चढ़ाएं, हर बार मंत्र पढ़ें:
“ॐ नमः शिवाय”
फिर धूप-दीप अर्पित करें और भजन या मंत्र जाप करें। भगवान शिव की आंखों में सीधे दीपक न दिखाएं।
श्रावण सोमवार को कौन-कौन से मंत्र पढ़े जाएं?
- महामृत्युंजय मंत्र:
ओं त्रयंबकं यजामाहे सुगंधिं पुष्टिवधर्म्
उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्युर्मुक्षीयमाम् \
अर्थ: हम त्रिनेत्रधारी भगवान शिव का पूजन करते हैं जो जीवनदाता हैं; वे हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्त करें।
- शिव पंचाक्षरी मंत्र:
“ॐ नमः शिवाय”
- शिवाष्टक स्तोत्र और रुद्राष्टक भी पढ़े जा सकते हैं।
श्रावण सोमवार का व्रत कैसे रखें? नियम और सावधानियाँ
- व्रती को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए
- तामसिक भोजन जैसे लहसुन, प्याज और मांसाहार वर्जित है
- व्रतधारी एक समय फलाहार या निर्जल व्रत कर सकते हैं
- सात्विक भोजन जैसे साबूदाना, मूँगफली, फल, दूध लिया जा सकता है
- व्रत का समापन सोमवार शाम को शिव जी की आरती और प्रसाद वितरण से करें
श्रावण सोमवार व्रत के लाभ और धार्मिक महत्व
- मनोकामना पूर्ति
- मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति
- विवाहित महिलाओं को पति की दीर्घायु
- अविवाहित कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति
- पारिवारिक समृद्धि और सुख-शांति
श्रावण सोमवार में किन बातों का विशेष ध्यान रखें?
- अभिषेक करते समय बेलपत्र उल्टा न हो
- चढ़ाया गया जल पीना या पुनः उपयोग न करें
- शिवलिंग पर तुलसी न चढ़ाएं
- व्रत वाले दिन क्रोध, चुगली, असत्य वाणी न बोलें
श्रावण सोमवार विशेष मंत्र और स्तुति
- रुद्राष्टक स्तोत्र: श्रीरामचरितमानस में तुलसीदास जी द्वारा रचित
- शिव तांडव स्तोत्र
- शिव चालीसा
इन स्तोत्रों का पाठ श्रावण सोमवार को करने से अत्यंत पुण्य प्राप्त होता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से श्रावण सोमवार व्रत का महत्व
- व्रत करने से पाचनतंत्र को विश्राम मिलता है
- जल्दी उठने और पूजा करने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है
- जल और दूध से अभिषेक करने की प्रक्रिया वैज्ञानिक रूप से शीतलता और संतुलन प्रदान करती है
- बेलपत्र की सुगंध वायु को शुद्ध करती है
निष्कर्ष:
श्रावण सोमवार केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, भक्ति और संयम का पर्व है। भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए श्रद्धा से किए गए व्रत, पूजा और मंत्र जप अत्यंत फलदायी माने जाते हैं। यदि आपने आज तक श्रावण सोमवार व्रत नहीं किया है, तो इस बार 2025 में अवश्य करें और अपने जीवन में अध्यात्म का दिव्य अनुभव प्राप्त करें।
हर हर महादेव!
अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: How to Perform Shravan Somvar Puja? Complete Guide, Rituals, and Significance