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ऋषि पंचमी 2025 कब है? जानिए तिथि और दिन
वर्ष 2025 में ऋषि पंचमी का पावन पर्व गुरुवार, 28 अगस्त को मनाया जाएगा। यह पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आता है।
- पंचमी तिथि प्रारंभ: 27 अगस्त 2025 को अपराह्न 3:44 बजे
- पंचमी तिथि समाप्त: 28 अगस्त 2025 को सायं 5:56 बजे
- पूजा मुहूर्त: प्रातः 11:15 बजे से दोपहर 1:45 बजे तक (अवधि: 2 घंटे 30 मिनट)
इसी शुभ मुहूर्त में ऋषियों की पूजा और व्रत की विधियां संपन्न की जाती हैं।
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ऋषि पंचमी का अर्थ क्या होता है?
“ऋषि पंचमी” दो संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है—”ऋषि” अर्थात महर्षि या तपस्वी और “पंचमी” अर्थात पंचमी तिथि। इस दिन सप्त ऋषियों की पूजा कर उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाती है। विशेष रूप से यह व्रत स्त्रियों द्वारा मासिक धर्म के समय अनजाने में हुई शुद्धि की त्रुटियों के प्रायश्चित हेतु किया जाता है।
यह व्रत आत्मशुद्धि, विनम्रता और वेद-ज्ञान के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है।
ऋषि पंचमी का धार्मिक महत्व और पौराणिक पृष्ठभूमि
ऋषि पंचमी हिंदू धर्म में अत्यंत पुण्यदायी और आत्मशुद्धि का पर्व माना गया है। स्कंद पुराण, पद्म पुराण और भविष्य पुराण में इस व्रत की महत्ता का वर्णन मिलता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, एक ब्राह्मण कन्या ने मासिक धर्म के समय अशुद्धि में आहार बनाकर पाप किया था और अगले जन्म में कृमि (कीट) योनि में उत्पन्न हुई। बाद में ऋषि पंचमी व्रत का पालन करने पर उसे मुक्ति प्राप्त हुई।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन सप्त ऋषि स्वर्ग से पृथ्वी पर आते हैं और सच्चे श्रद्धालुओं को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
ऋषि पंचमी की पूजा में किस भगवान की आराधना की जाती है?
इस दिन मुख्य रूप से सप्त ऋषियों की पूजा की जाती है। वे हैं:
- महर्षि कश्यप
- महर्षि अत्रि
- महर्षि भारद्वाज
- महर्षि विश्वामित्र
- महर्षि गौतम
- महर्षि जमदग्नि
- महर्षि वशिष्ठ
इसके साथ ही कुछ स्थानों पर अरुंधती माता, भगवान गणेश और नवग्रह की भी पूजा की जाती है।
ऋषि पंचमी व्रत और पूजा विधि: कैसे करें पूजन सही तरीके से
पूर्व तैयारी:
- प्रातः सूर्योदय से पूर्व स्नान करें। परंपरागत रूप से तुलसी, आमला और कुश मिलाकर शुद्धिकरण स्नान किया जाता है।
- पूजा स्थल को स्वच्छ करें और पूजा चौकी पर सप्त ऋषियों का चित्र या प्रतीक स्थापित करें।
पूजा विधि:
- संकल्प लें: व्रत को पूर्ण श्रद्धा से करने का संकल्प लें।
- आवाहन करें: दीप, धूप, पुष्प, चावल, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
- भोग लगाएं: फल, मिठाई, नारियल आदि अर्पित करें।
- मंत्र जाप करें: सप्त ऋषियों एवं अरुंधती माता के मंत्रों का जाप करें।
- आरती करें: देसी घी के दीपक से आरती करें।
- व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
कुछ महिलाएं उपवास कर केवल फलाहार लेती हैं, जबकि अन्य निर्जल व्रत भी करती हैं। व्रत अगले दिन ब्राह्मण भोजन और दान देकर पूर्ण होता है।
ऋषि पंचमी के दिन क्या करें और क्या न करें? व्रत नियम और आचरण
क्या करें:
- तन, मन और व्यवहार की पवित्रता बनाए रखें।
- सच्चे भाव से उपवास करें।
- दान करें: अन्न, वस्त्र और दक्षिणा ब्राह्मणों को दें।
- व्रत कथा का श्रवण अवश्य करें।
क्या न करें:
- मांसाहार, प्याज-लहसुन और तामसिक भोजन से बचें।
- क्रोध, द्वेष और अशुद्ध आचरण से दूर रहें।
- व्रती दूसरों को स्पर्श करने से बचें जब तक स्नान न कर लें।
ऋषि पंचमी व्रत से जुड़े लाभ और मान्यताएं
- इस व्रत के पालन से अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिलती है।
- स्त्रियों को रजस्वला काल की शुद्धि हेतु आत्मिक शांति मिलती है।
- परिवार में सुख-शांति, स्वास्थ्य और संतति का आशीर्वाद मिलता है।
- पुण्य, मोक्ष और सात्विक जीवन की प्राप्ति होती है।
ऋषि पंचमी की कथा
कथा अनुसार, एक ब्राह्मण दंपति की कन्या रजस्वला अवस्था में रसोई बनाकर पाप की भागी बनी और मृत्यु के बाद कृमि योनि में जन्मी। अगले जन्म में एक महात्मा के सुझाव पर उसने ऋषि पंचमी व्रत किया और आत्मिक शुद्धि प्राप्त की।
तभी से यह व्रत स्त्रियों द्वारा विशेष रूप से किया जाता है ताकि वे अपने जीवन की अशुद्धियों का प्रायश्चित कर सकें।
सप्त ऋषियों का परिचय: किन ऋषियों की पूजा होती है इस दिन?
- कश्यप ऋषि: समस्त प्राणियों के जनक, ब्रह्मा के मानस पुत्र।
- अत्रि ऋषि: ब्रह्मा के मानस पुत्र, ऋग्वेद के रचयिता।
- भारद्वाज ऋषि: आयुर्वेद और वेदों के महान ज्ञाता।
- विश्वामित्र ऋषि: राजा से ब्रह्मर्षि बने, गायत्री मंत्र के रचयिता।
- गौतम ऋषि: धर्मशास्त्रों के रचयिता, अहिल्या के पति।
- जमदग्नि ऋषि: परशुराम के पिता, घोर तपस्वी।
- वशिष्ठ ऋषि: इक्ष्वाकु वंश के राजगुरु, श्रीराम के कुलगुरु।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्र1: क्या यह व्रत केवल स्त्रियाँ करती हैं?
उत्तर: परंपरागत रूप से यह व्रत स्त्रियाँ करती हैं, लेकिन पुरुष भी आत्मशुद्धि हेतु कर सकते हैं।
प्र2: व्रत में क्या खा सकते हैं?
उत्तर: अधिकांश स्त्रियाँ निर्जल व्रत करती हैं, परंतु फलाहार का भी विकल्प लिया जा सकता है।
प्र3: क्या गर्भवती स्त्रियाँ व्रत कर सकती हैं?
उत्तर: नहीं, उन्हें केवल पूजा कर लेनी चाहिए, उपवास आवश्यक नहीं है।
प्र4: इस दिन कौन-कौन से दान करें?
उत्तर: अन्न, वस्त्र, फल और दक्षिणा ब्राह्मणों को देना पुण्यकारी है।
प्र5: कौन-से मंत्र का जाप करना चाहिए?
उत्तर: सप्त ऋषियों के नामों का स्मरण और गायत्री मंत्र का जाप उत्तम माना गया है।
निष्कर्ष: ऋषियों का सम्मान, आत्मा की शुद्धि
ऋषि पंचमी केवल एक व्रत नहीं बल्कि वेद, तप और मर्यादा का प्रतीक है। यह दिन हमें आत्मशुद्धि और ऋषियों की अमूल्य शिक्षा के प्रति आभार प्रकट करने का अवसर देता है।
ऋषियों की कृपा से आपका जीवन आध्यात्मिक प्रकाश से आलोकित हो।
अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: Rishi Panchami 2025: Know the Date, Significance, Puja Rituals, and Vrat Katha