घटस्थापना 2025: महत्व, परंपराएं और सम्पूर्ण विधि

घटस्थापना, देवी दुर्गा के आवाहन का प्रतीक है और नवरात्रि महापर्व की शुरुआत को चिह्नित करती है। यह एक अत्यंत शुभ और आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जो नौ दिनों के उपवास, भक्ति और पूजा का आधार बनती है। घटस्थापना 2025 पूरे भारत में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाई जाएगी। इस ब्लॉग में हम घटस्थापना 2025 से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी, तिथि, मुहूर्त, विधि, और मंत्र विस्तार से जानेंगे।

घटस्थापना

घटस्थापना शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – ‘घट’ यानी कलश और ‘स्थापना’ यानी स्थापना करना। नवरात्रि की शुरुआत घटस्थापना से होती है, जिसमें देवी दुर्गा का आवाहन कर उन्हें घर अथवा पूजा स्थल पर आमंत्रित किया जाता है। इस अनुष्ठान के दौरान एक विशेष रूप से तैयार किया गया कलश स्थापित किया जाता है, जो समृद्धि, स्वास्थ्य, शक्ति और धर्म की प्रतीकात्मकता को दर्शाता है। घटस्थापना केवल एक पूजा विधि नहीं, बल्कि भक्तों के जीवन में नवरात्रि के दौरान आने वाली सकारात्मक ऊर्जा और भक्ति भाव का भी प्रवेश द्वार है।

घटस्थापना के समय भक्त संकल्प लेते हैं कि वे नौ दिनों तक संयम, तपस्या और भक्ति से देवी की आराधना करेंगे। कलश को विशेष मंत्रों और विधियों द्वारा पूजित किया जाता है ताकि उसमें देवी की दिव्य उपस्थिति बनी रहे। साथ ही कलश के चारों ओर जौ (जवारे) बोए जाते हैं, जिनका अंकुरण समृद्धि और शुभता का संकेत माना जाता है।

भारत के विभिन्न हिस्सों में घटस्थापना की परंपराओं में थोड़ा बहुत अंतर देखने को मिलता है, लेकिन इसका मूल भाव एक ही रहता है – माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करना और जीवन में सकारात्मकता का स्वागत करना।

घटस्थापना का महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक भी है। नवरात्रि का आरंभ होते ही घरों, मंदिरों और पंडालों में भक्तिभाव का वातावरण बन जाता है। चारों ओर मंत्रोच्चारण, भजन-कीर्तन और दीपों की रौशनी से वातावरण पावन हो उठता है। घटस्थापना के समय घर में विशेष सफाई और शुद्धता का ध्यान रखा जाता है, जिससे न केवल भौतिक स्वच्छता आती है, बल्कि मानसिक शांति और सात्त्विकता भी बढ़ती है।

घटस्थापना करते समय श्रद्धालु देवी दुर्गा से यह प्रार्थना करते हैं कि वे उनके जीवन को सुख, समृद्धि, और विजय से परिपूर्ण करें। नौ दिनों तक लगातार कलश और जवारों की सेवा करना एक प्रकार का तप माना जाता है, जो साधक के मन, वचन और कर्म को शुद्ध करने में सहायक होता है।

इस प्रकार, घटस्थापना केवल एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत है, जो भक्तों को स्वयं से जोड़ने और देवी के दिव्य स्वरूप को अपने भीतर अनुभव करने का अवसर प्रदान करती है।

घटस्थापना 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

नवरात्रि 2025 के लिए घटस्थापना बुधवार, 24 सितंबर 2025 को की जाएगी।

  • घटस्थापना मुहूर्त: प्रातः 06:10 बजे से 08:31 बजे तक
  • अवधि: 2 घंटे 21 मिनट
  • प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 23 सितंबर 2025 को सायं 07:15 बजे
  • प्रतिपदा तिथि समाप्त: 24 सितंबर 2025 को रात्रि 08:56 बजे

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, घटस्थापना विशेष मुहूर्त में ही करनी चाहिए ताकि देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त हो सके।

घटस्थापना का महत्व

घटस्थापना शारदीय नवरात्रि के शुभारंभ का प्रतीक है, जिसमें एक कलश (घड़ा) की स्थापना कर देवी दुर्गा का आवाहन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि घट में नौ दिनों तक देवी की दिव्य ऊर्जा वास करती है। यह अनुष्ठान सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का आरंभ है।

घटस्थापना के समय जौ (जवारे) बोए जाते हैं, जो उर्वरता और शुभता के प्रतीक माने जाते हैं।

घटस्थापना की विधि

घटस्थापना की प्रक्रिया बेहद शुभ और विधिपूर्वक की जाती है। इसमें निम्नलिखित चरण होते हैं:

  1. स्थान का चयन: घर या मंदिर में एक पवित्र और स्वच्छ स्थान का चयन करें।
  2. कलश की तैयारी: एक तांबे, पीतल या मिट्टी के पात्र (कलश) में पवित्र जल भरें, उसके मुख पर आम के पत्ते लगाएं और ऊपर नारियल रखें।
  3. देवी का आह्वान: कलश को देवी दुर्गा का प्रतीक मानकर पूजन करें।
  4. जौ बोना: कलश के चारों ओर मिट्टी में जौ के बीज बोएं।
  5. दैनिक पूजा: नौ दिनों तक सुबह-शाम कलश और देवी दुर्गा की आराधना करें।

नवरात्रि के दौरान संयम, शुद्धता और सात्त्विकता का विशेष ध्यान रखा जाता है।

घर पर घटस्थापना कैसे करें

घर पर घटस्थापना करने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसकी विधि इस प्रकार है:

  • पूजा स्थल की अच्छे से सफाई करें।
  • मिट्टी या रेत की पतली परत बिछाकर उसमें जौ बोएं।
  • बीच में कलश स्थापित करें।
  • कलश में गंगाजल या शुद्ध जल भरें, उसमें सिक्के, सुपारी, अक्षत डालें और पांच आम के पत्ते लगाएं।
  • कलश के गले पर मौली (कलावा) बांधें।
  • नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर रखें।
  • दीपक जलाएं और पुष्प, चंदन, कुमकुम व मिठाई चढ़ाएं।
  • प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें।

पूरे नवरात्रि के दौरान कलश और जौ की देखभाल करना अनिवार्य होता है।

घटस्थापना का मंत्र

घटस्थापना के समय निम्न मंत्र का उच्चारण करें:

मंत्र:

कलश में जल भरने का मंत्र:

“ओम वरुणस्योत्तम्भनमसि वरुणस्य स्काभसर्जनी स्थो वरुणस्य ऋतसदन्यसि वरुणस्य ऋतसदनमसि वरुणस्य ऋतसदनमा सीद”

कलश स्थापना मंत्र:

“ओम आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:”

देवी देवताओं का आह्वान:

“ओम भूर्भुवः स्वः भो वरुण, इहागच्छ, इह तिष्ठ, स्थापयामि, पूजयामि, मम पूजां गृहाण। \’ओम अपां पतये वरुणाय नमः।”

घटस्थापना में जौ बोने का महत्व

घटस्थापना के दौरान जौ बोने का विशेष महत्व है। जौ के अंकुरण को समृद्धि, शुभता और देवी कृपा का प्रतीक माना जाता है। विजयादशमी के दिन इन जवारों को नदी में विसर्जित किया जाता है या घर में पूजन हेतु रखा जाता है।

जौ के विकास से नवरात्रि में साधक की तपस्या और भक्ति का भी अनुमान लगाया जाता है।

घटस्थापना में सामान्य गलतियाँ जिनसे बचना चाहिए

  • घटस्थापना का अनुष्ठान अनुचित समय पर न करें।
  • कलश और पूजा स्थल को गंदा न रखें।
  • घटस्थापना के बाद पूजा में लापरवाही न बरतें।
  • कलश को अस्थिर या हिलने वाले स्थान पर न रखें।

सही विधि से घटस्थापना करने से जीवन में सकारात्मकता और सफलता का संचार होता है।

निष्कर्ष

घटस्थापना 2025 केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि शक्ति, श्रद्धा और आत्मिक ऊर्जा के आरंभ का पर्व है। जब हम 24 सितंबर 2025 को देवी का आवाहन करेंगे, तो उनके आशीर्वाद से हमारा जीवन सुख, समृद्धि और शक्ति से परिपूर्ण हो जाएगा।

पूरी श्रद्धा, नियम और भक्ति के साथ घटस्थापना कर हम अपने जीवन में नया उत्साह और ऊर्जा भर सकते हैं।

आप सभी को घटस्थापना एवं नवरात्रि 2025 की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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