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मोहिनी एकादशी 2025
मोहिनी एकादशी हिंदुओं द्वारा मनाए जाने वाले सबसे आध्यात्मिक और प्रभावशाली व्रतों में से एक है, जो पापों के शमन और मोक्ष की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यह वैशाख माह के शुक्ल पक्ष (चंद्रमा के बढ़ते चरण) में आती है और इसका नाम भगवान विष्णु के मोहक स्त्री अवतार — मोहिनी — के नाम पर पड़ा है। वर्ष 2025 में मोहिनी एकादशी गुरुवार, 8 मई को मनाई जाएगी। भक्त इस दिन कठोर उपवास रखते हैं, प्रार्थना करते हैं और विष्णु सहस्रनाम का पाठ कर दिव्य आशीर्वाद और पूर्व कर्मों से मुक्ति प्राप्त करते हैं।
मोहिनी एकादशी 2025 की तिथि और समय
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 7 मई 2025 को सुबह 10:19 बजे
- एकादशी तिथि समाप्त: 8 मई 2025 को दोपहर 12:29 बजे
- पारण का समय (व्रत समाप्ति का समय): 9 मई 2025 को सुबह 05:34 बजे से 08:16 बजे के बीच
- व्रत का दिन: गुरुवार
पारण सूर्योदय के बाद और द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना चाहिए। व्रत के पूर्ण आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने के लिए उचित समय पर पारण करना अत्यंत आवश्यक है।
मोहिनी एकादशी का आध्यात्मिक महत्व
मोहिनी एकादशी एक अत्यंत प्रतीकात्मक व्रत है। यह उस दिन की स्मृति में मनाई जाती है जब भगवान विष्णु ने देवताओं के बीच अमृत का वितरण करने और असुरों से उसकी रक्षा हेतु मोहिनी रूप धारण किया था। आध्यात्मिक दृष्टि से, यह दिन दिव्य आकर्षण और ज्ञान की छल, अहंकार एवं माया पर विजय का प्रतीक है। इस एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति अंतर्मन की नकारात्मकता, मोह-माया और आसक्ति से ऊपर उठकर मोक्ष की ओर अग्रसर होता है।
परंपराएं, अनुष्ठान और धार्मिक परिपाटियाँ
इस दिन भक्त निम्नलिखित कार्य करते हैं:
- ब्रह्म मुहूर्त में जागना
- पवित्र स्नान करना और साफ, विशेष रूप से पीले या सफेद वस्त्र पहनना
- पूजा स्थान की सफाई कर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करना
- तुलसी पत्ते, चंदन, फूल, फल और मिठाइयाँ अर्पित करना
- विष्णु सहस्रनाम, गीता के श्लोक और मोहिनी एकादशी व्रत कथा का पाठ करना
- कड़ा व्रत रखना — निर्जला (बिना जल के) या फलाहार (फल एवं दूध)
- क्रोध, कटु वाणी और नकारात्मक विचारों से बचना
- दिन भर भक्ति में लीन रहना और सांसारिक भोग-विलास से दूरी बनाए रखना
व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं
फलाहारी व्रत में क्या खाएं:
- फल (केला, सेब, पपीता, अनार)
- दूध, छाछ और दही
- साबुदाना, मूंगफली, मखाना
- सेंधा नमक
क्या न खाएं:
- अनाज (गेहूं, चावल, दालें)
- मसाले, सामान्य नमक, लहसुन और प्याज
- शराब, मांस या तंबाकू
टिप: जो लोग निर्जला व्रत रखते हैं, उन्हें पूर्ण रूप से अन्न और जल से परहेज करना चाहिए।
मोहिनी एकादशी के चरणबद्ध पूजन विधि
प्रातःकाल:
- ब्रह्म मुहूर्त में उठें
- स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें
- पूजा स्थान को स्वच्छ कर भगवान विष्णु की मूर्ति/चित्र स्थापित करें
- जल, तुलसी, फल अर्पित करें और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें
दोपहर:
- मोहिनी एकादशी व्रत कथा पढ़ें या सुनें
- विष्णु सहस्रनाम अथवा विष्णु मंत्रों का जाप करें
- असत्य बोलने या नकारात्मक व्यवहार से बचें
सायंकाल:
- घी या तिल के तेल का दीपक जलाएं
- पूर्ण श्रद्धा से विष्णु की आरती करें
- ध्यान करें या भगवद गीता का पाठ करें
पारण (अगले दिन सुबह):
- सुबह 05:34 बजे से 08:16 बजे के बीच पारण करें
- तुलसी युक्त जल एवं हल्के सात्त्विक आहार से व्रत तोड़ें
मोहिनी एकादशी व्रत के लाभ
- जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति (मोक्ष) प्राप्त होती है
- पूर्व जन्मों के पापों का शमन होता है और आत्मा शुद्ध होती है
- मन की शांति, स्पष्टता और आध्यात्मिक जागृति प्राप्त होती है
- आंतरिक शक्ति और आत्मनियंत्रण में वृद्धि होती है
- धर्मयुक्त इच्छाओं की पूर्ति और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है
मोहिनी एकादशी की पौराणिक कथा
मोहिनी एकादशी की कथा समुद्र मंथन की घटना से जुड़ी हुई है। जब देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया, तब अमरता प्रदान करने वाला अमृत प्राप्त हुआ। उसके वितरण को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया। अमृत को असुरों से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने एक अत्यंत सुंदर स्त्री — मोहिनी — का रूप धारण किया। अपनी मोहकता और बुद्धिमत्ता से मोहिनी ने असुरों का ध्यान भटकाया और अमृत केवल देवताओं को प्रदान किया। यह घटना इस बात का प्रतीक है कि धर्म की रक्षा हेतु भगवान स्वयं हस्तक्षेप करते हैं और अधर्म पर विजय प्राप्त होती है।
मोहिनी एकादशी पर जाप करने योग्य मंत्र
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
अर्थ: मैं भगवान विष्णु को नमन करता हूँ। - “विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र” (विष्णु के 1000 नामों का पाठ)
- “ॐ श्री विष्णवे नमः”
अर्थ: भगवान विष्णु को नमस्कार। - मोहिनी एकादशी विशेष कथा पाठ (स्कंद पुराण से लिया जा सकता है)
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्र.1: क्या मोहिनी एकादशी के व्रत में पानी पी सकते हैं?
उत्तर: हां, यदि आप निर्जला व्रत नहीं कर रहे हैं। फलाहार व्रत में पानी, फल और दूध लिया जा सकता है।
प्र.2: क्या गर्भवती महिलाएं यह व्रत रख सकती हैं?
उत्तर: उन्हें डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
प्र.3: अगर पारण का समय छूट जाए तो क्या होगा?
उत्तर: पारण का समय चूकने से व्रत के आध्यात्मिक फल में कमी आती है। इसलिए द्वादशी के भीतर व्रत तोड़ना चाहिए।
प्र.4: क्या पूरी रात जागरण करना अनिवार्य है?
उत्तर: अनिवार्य नहीं है, लेकिन यदि संभव हो तो भजन-कीर्तन या धर्मग्रंथों का पाठ करना शुभ माना गया है।
प्र.5: क्या बच्चे यह व्रत रख सकते हैं?
उत्तर: हां, वे इसे सरल रूप में फल और प्रार्थना के साथ कर सकते हैं।
निष्कर्ष
मोहिनी एकादशी केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और ईश्वर से जुड़ने की यात्रा है। इस व्रत को श्रद्धा और निष्ठा से करने पर व्यक्ति सांसारिक बंधनों से मुक्त होता है, अपने कर्मों का प्रायश्चित करता है और मोक्ष की ओर अग्रसर होता है। जिस प्रकार भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप में धर्म की रक्षा की, उसी प्रकार यह एकादशी हमें भी जीवन में संतुलन और अध्यात्म की दिशा में प्रेरित करती है। मोहिनी एकादशी 2025 को ईश्वर की कृपा प्राप्त करने और आत्मिक परिवर्तन का माध्यम बनाएं।