राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज (जन्म 30 अप्रैल 1909, यावली, तत्कालीन सेंट्रल प्रोविंसेज़ एंड बरार; निधन 11 अक्टूबर 1968, गुरुकुंज आश्रम, मोझरी, अमरावती) 20वीं शताब्दी के एक प्रमुख संत, समाज-सुधारक, वक्ता, कीर्तनकार और साहित्यकार थे। उनका मूल नाम माणिकदेव बंडोजी इंगळे (ठाकूर/भाट) था। वे समर्थ आडकोजी महाराज के शिष्य माने जाते हैं। उन्होंने ग्रामीण पुनर्निर्माण, व्यसनमुक्ति, स्वच्छता, सामुदायिक श्रम और नैतिक शिक्षा पर आधारित व्यापक जन-जागरण चलाया। उनकी काव्यात्मक कृति ‘ग्रामगीता’ ग्रामीण भारत के समग्र विकास का एक महत्त्वपूर्ण ग्रंथ मानी जाती है। 2005 में नागपुर विश्वविद्यालय का नाम उनके सम्मान में राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय (RTMNU) रखा गया।
यह लेख तथ्यों के आधार पर तटस्थ शैली में प्रस्तुत है और अंत में स्रोत-संदर्भ दिए गए हैं।
नाम, जन्म और परिवार पृष्ठभूमि
तुकडोजी महाराज का जन्म 30 अप्रैल 1909 को वर्तमान महाराष्ट्र के अमरावती ज़िले के यावली (तत्कालीन सेंट्रल प्रोविंसेज़ एंड बरार) में हुआ। उनका जन्मनाम माणिकदेव बांडुजी इंगळे (भाट) दर्ज है। प्रारम्भिक संस्कारों में भक्ति-संगीत की भूमिका उल्लेखनीय रही, जो आगे चलकर उनके लोक-जागरण की विधा का आधार बनी।
बचपन के प्रभाव और प्रारम्भिक शिक्षा
शैशव और किशोरावस्था में उन्हें लोक-भक्ति, कीर्तन और ग्रामीण जीवन की समस्याओं का निकट अनुभव मिला। परंपरागत औपचारिक शिक्षा सीमित रहने के बावजूद, उन्होंने स्वाध्याय और साधना के माध्यम से धर्म, समाज और राष्ट्र-विचार पर गंभीर अध्ययन किया। युवावस्था में वे विदर्भ क्षेत्र के वनों—रामटेक, सालबर्दी आदि—में एकांत साधना और चिंतन करते रहे, जो बाद में उनके साहित्य और जन-कार्य में परिलक्षित हुआ।
आध्यात्मिक दीक्षा और गुरुपरंपरा
तुकडोजी महाराज का आध्यात्मिक सम्बंध समर्थ आडकोजी (आदकोजी) महाराज से माना जाता है। दीक्षा के उपरान्त उन्होंने भक्ति-मार्ग को लोकहित के साथ जोड़ा। वे ओजस्वी वक्ता और संगतिकार थे; खांजिरी/कंजरी के साथ किए गए उनके भजन-कीर्तन व्यापक रूप से प्रसिद्ध हुए और जन-जागरण का प्रभावी माध्यम बने।
गुरुकुंज आश्रम, मोझरी
विदर्भ के अमरावती ज़िले के मोझरी में स्थित गुरुकुंज आश्रम तुकडोजी महाराज के कार्यों का प्रमुख केंद्र बना। मराठी विकिपीडिया आदि प्राथमिक स्रोतों में आश्रम की स्थापना वर्ष 1935 दी गई है; बाद के वर्षों में यह सामाजिक-आध्यात्मिक गतिविधियों का संस्थागत केंद्र बना, जहाँ वार्षिक उत्सव, सामुदायिक सेवाएँ और ग्राम-उन्नयन कार्यक्रम संचालित होते रहे।
अखिल भारतीय श्री गुरुदेव सेवा मंडल
तुकडोजी महाराज के मार्गदर्शन में अखिल भारतीय श्री गुरुदेव सेवा मंडल का गठन किया गया, जिसका उद्देश्य ग्राम-सेवा, स्वच्छता, व्यसनमुक्ति, साक्षरता, सड़क-निर्माण (श्रमदान) और सामाजिक नैतिकता को बढ़ावा देना था। यह संगठन विदर्भ सहित महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों में शाखाओं के माध्यम से कार्य करता रहा और सामुदायिक प्रार्थना, ‘गुरुदेव संदेश’ तथा ‘ग्रामगीता’ के पाठ जैसे कार्यक्रमों से जन-जागरण करता है।
स्वतंत्रता आंदोलन में सहभागिता
1940 के दशक में तुकडोजी महाराज ने व्यक्तिगत सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन (1942) के दौर में जन-जागरण किया। उपलब्ध स्रोतों के अनुसार 1942 में उन्हें गिरफ़्तार कर नागपुर और रायपुर केंद्रीय जेलों में निरुद्ध किया गया। स्वतंत्रता के बाद उनका ध्यान ग्रामीण पुनर्निर्माण, स्वावलंबन और सामाजिक समरसता पर केंद्रित रहा।
सामाजिक योगदान और जन-जागरण
ग्राम-उन्नति और श्रमदान
तुकडोजी महाराज ने ग्राम-उन्नति को सामुदायिक दायित्व माना। उन्होंने श्रमदान से सड़कों और सामुदायिक ढाँचों के निर्माण, स्वच्छता अभियान, जल-संरक्षण, वृक्षारोपण और सार्वजनिक स्वास्थ के लिए जन-कार्य किए। ग्रामीण समाज में व्यसनमुक्ति, अंधविश्वास-निरोध, छुआछूत उन्मूलन और शिक्षा-प्रसार उनके अभियानों के प्रमुख विषय रहे।
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भूदान और आपदा-राहत
उन्होंने आचार्य विनोबा भावे के भूदान आन्दोलन से प्रेरित होकर भूमि-सुधार और ग्राम-समाज के हित में रचनात्मक सहयोग दिया। साथ ही, 1940 के दशक के बंगाल अकाल, 1962 के भारत-चीन संघर्ष, 1967 के कोयना भूकम्प जैसी परिस्थितियों में राहत और पुनर्वास के प्रयासों में उनके अनुयायी-संगठन सक्रिय रहे।
खांजिरी/कंजरी भजन परंपरा
तुकडोजी महाराज के भजन-कीर्तन में प्रयुक्त खांजिरी (कंजरी) वाद्य और उनके ओजस्वी, संवादपरक प्रस्तुतीकरण ने वैचारिक संदेश को सरल भाषा में विशाल ग्रामीण जन-समुदाय तक पहुँचाया। इस परंपरा का उपयोग स्वच्छता, संयम, ग्राम-सेवा, राष्ट्रभक्ति और नैतिक आचार के प्रसार में किया गया।
साहित्य और प्रमुख कृतियाँ
तुकडोजी महाराज ने हिंदी और मराठी में अनेक साहित्यिक कृतियाँ और हजारों भजन रचे। प्रमुख कृतियाँ—
- ग्रामगीता (मराठी काव्य-ग्रंथ; विभिन्न भाषाओं में अनुवाद उपलब्ध)
- गीता-प्रसाद
- सार्थ आनंदामृत
- सार्थ आत्मप्रभाव
- लहऱकी बरखा (खंड)
- अनुभव-प्रकाश (खंड)
- मेरी जापान यात्रा (जापान प्रवास-संबंधी विवरण)
‘ग्रामगीता’
‘ग्रामगीता’ ग्रामीण समाज के नैतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और प्रशासनिक पक्षों पर काव्यात्मक एवं व्यावहारिक निर्देश देती है। इसमें स्वावलंबन, श्रम-गौरव, स्वच्छता, शिक्षा, स्त्री-सम्बल, सहकारिता, सदाचार और समरसता जैसे विषयों का संयोजन मिलता है। ग्रंथ में विविध अध्यायों में ग्राम-निर्माण के सिद्धान्त, व्यक्ति-निर्माण, संघ-शक्ति, स्वास्थ्य, खेती-बाड़ी और ग्राम-उद्योगों पर बल दिया गया है।
उद्धरण (ग्रामगीता) —
“सन्त देहाने भिन्न असती, परी ध्येय-धरणाने अभिन्न स्थिती;
साधने जरी नाना दिसती, तरी सिद्धान्त-मति सारखी।”
(ग्रामगीता, उद्धरण)
“या झोपडीत माझ्या… भूमीवरी पडावे, तार्यांकडे पहावे;
प्रभुनाम नित्य गावे — या झोपडीत माझ्या।”
(ग्रामगीता, उद्धरण)
“ईश्वरास मान्य जें सत्कार्य… तें आचरणें यांतचि सौंदर्य — खर्या जीवनाचें।”
(ग्रामगीता, अध्याय 16, उद्धरण)
“मानवाची पूर्णता… म्हणोनी केली ‘ग्रामगीता’; जागृत व्हाया ग्रामदेवता।”
(ग्रामगीता, अर्पण-पत्रिका, उद्धरण)
टिप्पणी: उद्धरण विविध संस्करणों/ऑनलाइन पाठों में उपलब्ध हैं; प्रयोग यहाँ केवल उदाहरणार्थ किया गया है।
भारत के स्वतंत्रता-संग्राम और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उपस्थिति
1941 में व्यक्तिगत सत्याग्रह तथा 1942 के आंदोलन के संदर्भ में तुकडोजी महाराज का नाम विदर्भ में जन-जागरण से जुड़ा मिलता है। 1950 के दशक में वे जापान में आयोजित विश्व धर्म/विश्व शांति सम्मेलन में उपस्थित हुए और बाद में अपनी यात्राओं का विवरण ‘मेरी जापान यात्रा’ में अंकित किया।
दर्शन और विचार
तुकडोजी महाराज का दर्शन ‘भक्ति से प्रेरित लोक-सेवा’ के सूत्र पर केंद्रित था। वे व्यक्ति-निर्माण को ग्राम-निर्माण और राष्ट्र-निर्माण का आधार मानते थे। उनके विचारों में—
- स्वावलंबन और श्रम-गौरव: श्रमदान, स्वच्छता और आत्मनिर्भरता का प्रतिपादन।
- नैतिक-सामाजिक अनुशासन: व्यसनमुक्ति, अंधविश्वास-निरोध, समानता और समरसता।
- शिक्षा और जन-संस्कार: सरल भाषा के भजन-कीर्तन के माध्यम से नैतिक शिक्षा का प्रसार।
- सहकार एवं संगठन: ग्राम-सभा, सहकारी उपक्रम और सामुदायिक प्रार्थना को सशक्त करना।
प्रमुख संस्थाएँ/आंदोलन
- गुरुकुंज आश्रम, मोझरी (अमरावती): सामाजिक-आध्यात्मिक कार्यक्रमों का केंद्र; परिसर में शैक्षिक/आयुर्वेदिक संस्थानों की स्थापना।
- अखिल भारतीय श्री गुरुदेव सेवा मंडल: ग्राम-सेवा, स्वच्छता, व्यसनमुक्ति और जन-जागरण के लिए व्यापक संगठन।
- भूदान सहयोग: विनोबा भावे के भूमि-सुधार आंदोलन को वैचारिक/संगठनात्मक समर्थन।
सम्मान और मान्यता
- कई स्रोतों के अनुसार भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा उन्हें ‘राष्ट्रसंत’ की उपाधि दी गई।
- भारतीय डाक विभाग ने 10 दिसंबर 1995 को ‘संत तुकडोजी महाराज’ विषयक स्मारक डाक-टिकट जारी किया।
- नागपुर विश्वविद्यालय का नाम 2005 में बदलकर राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय (RTMNU) रखा गया।
निधन
तुकडोजी महाराज का निधन 11 अक्टूबर 1968 को अमरावती ज़िले के गुरुकुंज आश्रम, मोझरी में हुआ। आश्रम-परिसर में उनकी स्मृति में समाधि-स्थल और वार्षिक पुण्यतिथि कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
विरासत और समकालीन स्मरण
तुकडोजी महाराज की विरासत महाराष्ट्र और विशेषकर विदर्भ में ग्राम-जयंती महोत्सव, भजन-परंपरा, स्वच्छता एवं व्यसनमुक्ति अभियान, और ग्रामगीता पाठ के रूप में जीवित है। RTMNU और क्षेत्रीय संस्थानों में उनके विचारों पर व्याख्यान-श्रृंखलाएँ, सांस्कृतिक कार्यक्रम और अनुसंधान गतिविधियाँ आयोजित होती हैं। समाचार-माध्यमों में समय-समय पर उनके जन्म/पुण्यतिथि, ग्राम-सेवा कार्यक्रमों और सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं का उल्लेख मिलता है।
‘इन्हें भी देखें’
- ग्रामगीता
- राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय (RTMNU)
- विनोबा भावे और भूदान आंदोलन
संदर्भ (References)
- Wikipedia (English): “Tukdoji Maharaj.” (जीवनी, जन्म/निधन, कृतियाँ, स्वतंत्रता आंदोलन, जापान सम्मेलन का उल्लेख) — https://en.wikipedia.org/wiki/Tukdoji_Maharaj
- Wikipedia (Hindi): “ग्रामगीता.” (ग्रंथ व उद्धरण के नमूने) — https://hi.wikipedia.org/wiki/ग्रामगीता
- Wikipedia (Marathi): “तुकडोजी महाराज.” (जन्म-निधन, परिवार, गुरु, प्रमुख कृतियाँ) — https://mr.wikipedia.org/wiki/तुकडोजी_महाराज
- Maharashtra Gazetteers (Government): “Voluntary Organisations – Amravati.” (अखिल भारतीय श्री गुरुदेव सेवा मंडल की स्थापना-सूचना, मोझरी) — https://gazetteers.maharashtra.gov.in/cultural.maharashtra.gov.in/english/gazetteer/AMRAVATI/public_life_Voluntary%20organisations.html
- Gurukunj Ashram (आधिकारिक): “Gurukunj / About Gurukunj Ashram.” — https://www.tukdojimaharaj.com/Encyc/2022/5/2/About-Gurukunj.html
- Gurukunj Ashram (आधिकारिक पोर्टल): मुखपृष्ठ/उद्दिष्टे — https://www.tukdojimaharaj.com/
- Case Study (Archive.org PDF): Case Study of Gurukunj Ashram — https://ia801506.us.archive.org/21/items/in.ernet.dli.2015.17494/2015.17494.Case-Study-Of-Gurukunj-Ashram.pdf
- RTM Nagpur University (Wikipedia): नामकरण/परिचय — https://en.wikipedia.org/wiki/Rashtrasant_Tukadoji_Maharaj_Nagpur_University
- Times of India (2012): जापान में विश्व धर्म सम्मेलन (समाचार उल्लेख) — https://timesofindia.indiatimes.com/maharashtras-famous-saint-rastrasant-tukadoji-maharaj-on-whom-nagpur-university-has-been-renamed-had-presided-over-a-world-religion-conference-in-japan-way-back-in-1957-his-philosophies-had-greatly-influenced-the-japanese-and-are-still-remembered-there-now-efforts-are-being-made-to-build-a-memorial-of-the-great-saint-in-tokyo-former-nu-vice-chancellor-sn-pathan-is-working-relentlessly-towards-making-the-efforts-become-a-reality-/articleshow/17548553.cms
- Commons (India Post stamp): File: Tukdoji Maharaj 1995 stamp of India.jpg — जारी तिथि 10 दिसम्बर 1995 — https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Tukdoji_Maharaj_1995_stamp_of_India.jpg
- SGBAU KRC (Amravati University Library): “Information About Rashtrasant Tukdoji Maharaj.” — https://www.sgbaukrc.ac.in/socialreformers/index.php?Itemid=55&id=47&option=com_content&view=article
- Loksatta (Marathi, 2023): भूदान सहयोग पर लेख — https://www.loksatta.com/sampadkiya/columns/chintandhara-rashtrasant-tukdoji-maharaj-bhoodan-movement-zws-70-4057574/
- TrustMeher (biographical note): निधन-तिथि/स्थान का उल्लेख — https://trustmeher.org/blessed-souls/tukdoji-maharaj
- Nagpur Today (2023): साहित्यिक कृतियाँ/डिजिटल उपलब्धता — https://www.nagpurtoday.in/rashtrasant-tukdoji-maharajs-literary-works-are-just-a-click-away/05081409
- Times of India (2025): ग्राम-जयंती/समकालीन स्मरण — https://timesofindia.indiatimes.com/city/nagpur/gurukunj-shines-bright-a-grand-celebration-of-gram-jayanti-mahotsav-honours-farmers-and-devotion/articleshow/121008382.cms
नोट: अनेक ऐतिहासिक विवरणों (उदा., जापान सम्मेलन का वर्ष, गुरुकुंज आश्रम की आरम्भ-तिथियाँ) में स्रोतानुसार मामूली भिन्नताएँ मिलती हैं; इस लेख में प्राथमिक/आधिकारिक तथा बार-बार उद्धृत स्रोतों के आधार पर जानकारी संकलित की गई है।