Shri Hanuman: एक दिव्य जीवन की गाथा

Shri Hanuman कौन थे?

श्री हनुमान, जिन्हें बजरंगबली और अंजनेय के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के महानतम भक्त और भगवान राम के समर्पित अनुयायी माने जाते हैं। वे भगवान शिव के 11वें रुद्र अवतार हैं। श्री हनुमान अपनी असीम शक्ति, बुद्धिमत्ता, और अडिग भक्ति के लिए प्रसिद्ध हैं।

Shri Hanuman का जन्म कैसे हुआ?

श्री हनुमान का जन्म वानर राज केसरी और माता अंजना के घर हुआ। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता अंजना भगवान शिव की भक्ति में लीन थीं और उन्होंने उनसे एक दिव्य पुत्र का वरदान मांगा। उनके तप और भगवान शिव की कृपा से हनुमान जी का जन्म हुआ। उनका जन्म त्रेतायुग में हुआ और इसे दिव्यता और शक्ति का प्रतीक माना गया।

Shri Hanuman का प्रारंभिक जीवन और साधारण से असाधारण बनने की कहानी

बचपन में, श्री हनुमान अत्यंत चंचल और जिज्ञासु थे। एक बार उन्होंने सूरज को एक फल समझकर खाने की कोशिश की। उनकी यह बालसुलभ चेष्टा उनकी असीम शक्ति और साहस का परिचय देती है। हालाँकि, बाद में भगवान इंद्र ने अपनी शक्ति से उन्हें वश में किया और उनके जबड़े (हनु) पर प्रहार किया, जिससे उनका नाम हनुमान पड़ा।

श्री हनुमान ने अपने जीवन में अनेक ऋषियों और संतों से ज्ञान प्राप्त किया। भगवान राम से मिलकर वे साधारण वानर से भगवान राम के सबसे प्रिय भक्त बन गए। उनकी भक्ति, सेवा, और साहस ने उन्हें असाधारण बना दिया।

Shri Hanuman भगवान राम के सबसे प्रिय भक्त कैसे बने?

श्री हनुमान भगवान राम से पहली बार ऋष्यमूक पर्वत पर मिले। श्री राम के प्रति उनकी भक्ति और निष्ठा इतनी गहरी थी कि वे हमेशा उनके लिए समर्पित रहे। लंका कांड में माता सीता की खोज से लेकर राम-रावण युद्ध तक, हनुमान जी ने हर कठिन परिस्थिति में भगवान राम का साथ दिया। उनके इस सेवा भाव ने उन्हें भगवान राम का सबसे प्रिय भक्त बना दिया।

Shri Hanuman की पूजा शनिवार को ही क्यों की जाती है?

शनिवार को श्री हनुमान की पूजा का विशेष महत्व है। यह मान्यता है कि शनिदेव ने श्री हनुमान जी को वचन दिया था कि जो व्यक्ति शनिवार को हनुमान जी की पूजा करेगा, उसे शनि के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलेगी। इस कारण, लोग शनिवार को हनुमान जी की पूजा करते हैं।

Shri Hanuman की पूजा में सिंदूर क्यों चढ़ाया जाता है?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार श्री हनुमान ने माता सीता को सिंदूर लगाते देखा। जब उन्होंने इसका कारण पूछा, तो माता सीता ने बताया कि यह भगवान राम की लंबी आयु के लिए है। इसे सुनकर श्री हनुमान ने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया ताकि भगवान राम की दीर्घायु और सुख-शांति बनी रहे। इस घटना के बाद से हनुमान जी की पूजा में सिंदूर चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।

महिलाएं Shri Hanuman की पूजा क्यों नहीं करतीं?

श्री हनुमान ब्रह्मचारी और शिवभक्त माने जाते हैं। पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार, उनकी पूजा पुरुष प्रधान रही है। हालांकि, आधुनिक समय में यह धारणा बदल रही है और महिलाएं भी श्री हनुमान की पूजा में भाग लेती हैं।

Shri Hanuman की मूर्ति दक्षिण दिशा में ही क्यों रखी जाती है?

हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर को दक्षिण दिशा में रखने का धार्मिक महत्व है। यह माना जाता है कि हनुमान जी ने दक्षिण दिशा की ओर रावण की लंका में जाकर भगवान राम का कार्य सिद्ध किया था। इस कारण, उन्हें दक्षिण दिशा का रक्षक माना जाता है।

Shri Hanuman ब्रह्मचारी क्यों बने?

श्री हनुमान का ब्रह्मचर्य उनके तप और शक्ति का प्रतीक है। यह माना जाता है कि उन्होंने अपनी सारी ऊर्जा भगवान राम और उनकी सेवा के लिए समर्पित कर दी थी। उनका ब्रह्मचर्य उनके चरित्र की दिव्यता को दर्शाता है।

Shri Hanuman चिरंजीवी/अमर कैसे हैं?

श्री हनुमान को चिरंजीवी माना जाता है, जिसका अर्थ है कि वे अमर हैं। यह वरदान उन्हें भगवान राम और अन्य देवताओं से मिला। वे इस युग में भी जीवित हैं और उनके भक्तों की सहायता करते हैं। उनकी चिरंजीविता का उद्देश्य धर्म की रक्षा और भक्तों की सेवा है।

निष्कर्ष

श्री हनुमान केवल एक दिव्य चरित्र नहीं हैं, बल्कि शक्ति, भक्ति, और समर्पण के प्रतीक हैं। उनका जीवन हमें निस्वार्थ सेवा, साहस, और भगवान के प्रति अडिग भक्ति का संदेश देता है। उनकी पूजा और उनकी गाथाएं आज भी भक्तों को प्रेरणा देती हैं।

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