नवरात्रि देवियों की आराधना, साधना और संयम का पावन समय है। इसी दौरान बहुत‑से उपासक यह जानना चाहते हैं कि नवरात्रि में दाढ़ी बनाना चाहिए या नहीं। कुछ लोग प्रश्न करते हैं कि क्या नियम कठोर हैं या केवल अनुशंसा है, क्या आधुनिक जीवन की आवश्यकताओं को देखते हुए नवरात्रि में दाढ़ी बना सकते हैं। यह लेख शास्त्रीय संकेतों, लोकपरंपरा और आज के व्यावहारिक संदर्भ में संतुलित मार्गदर्शन देता है ताकि साधना ससम्मान और सहजता से हो सके।
शास्त्रीय संकेत: व्रत में नख‑केश‑वर्जन की परंपरा
पुराण, स्मृतियाँ और आचार‑ग्रंथ व्रत‑काल में सात्त्विकता, ब्रह्मचर्य, संयम और शुचिता पर विशेष जोर देते हैं। कई व्रत‑नियमों में “नख‑केश‑वपन वर्जन” का उल्लेख मिलता है—अर्थात व्रत के दिनों में नाखून‑बाल काटने से बचना उचित माना गया। इसी सामान्य नियम के आधार पर अनेक परिवार यह मानते हैं कि नवरात्रि में दाढ़ी बना सकते हैं या नहीं—इसका उत्तर संकल्प की कठोरता से तय होता है। यदि कोई साधक नवमी तक अखंड ज्योति, जप‑अनुष्ठान या विशेष संकल्प निभा रहा है, तो उसके लिए नवरात्रि में दाढ़ी बनाना चाहिए या नहीं—इसका परंपरागत उत्तर “नहीं” की ओर झुकता है।
संकल्प के स्तर के अनुसार आचरण
हर साधक का संकल्प और उसकी दिनचर्या भिन्न हो सकती है। तीन स्थितियाँ समझी जा सकती हैं:
- कठोर व्रत/अनुष्ठान—प्रतिपदा से नवमी तक उपवास, जप, नियम और अल्पभाषण का संकल्प। इस स्थिति में पारंपरिक मत यही है कि नवरात्रि में दाढ़ी बनाना चाहिए या नहीं का उत्तर “न बनवाएँ” है।
- मध्यम पालन—दैनिक पूजा, कुछ व्रत‑नियम, लेकिन सेवा/नौकरी भी चल रही हो। यहाँ अधिकतर घरों में अष्टमी/नवमी तक रुकना उचित माना जाता है; उसके बाद नवरात्रि में दाढ़ी बना सकते हैं के अंतर्गत स्वाभाविक रूप से सामान्य ग्रूमिंग की ओर लौटा जा सकता है।
- सामान्य भक्ति—यदि व्रत का कठोर संकल्प न लेकर केवल सादगी और पूजा रखी गई हो, तो यह व्यक्तिगत विवेक का विषय है। ऐसे में लोग अक्सर पूछते हैं—नवरात्रि में दाढ़ी बनाना चाहिए या नहीं—तो उत्तर होता है: परंपरा मानें तो टालें, पर अनिवार्यता नहीं।
पारिवारिक परंपरा और स्थानीय रीति
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में लोकरीतियाँ भिन्न हैं। कई परिवार में नियम है कि नवरात्रि भर दाढ़ी‑बाल नहीं कटते; कहीं अष्टमी‑नवमी के पूजन के बाद सामान्य दिनचर्या अपनाई जाती है। इसलिए जब भी मन में प्रश्न उठे कि नवरात्रि में दाढ़ी बना सकते हैं, तो पहले अपने घर की परंपरा, कुल‑देवी के विधान और स्थानीय आचार्य की सलाह को प्राथमिकता दें। इससे साधना में एकरूपता बनी रहती है और मन में यह द्वंद्व नहीं रहता कि नवरात्रि में दाढ़ी बनाना चाहिए या नहीं।
सेवा, स्वास्थ्य और स्वच्छता के व्यावहारिक प्रश्न
आधुनिक जीवन में कई पेशे ऐसे हैं जहाँ नियमित शेविंग‑ग्रूमिंग अनिवार्य होती है—सशस्त्र बल, सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवा, आतिथ्य क्षेत्र आदि। इसके अतिरिक्त त्वचा‑सम्बंधी समस्याएँ, सर्जिकल निर्देश या स्वास्थ्य कारण भी हो सकते हैं। ऐसे में बुद्धिमत्तापूर्ण मार्ग यह है कि संकल्प लेते समय स्पष्ट करें: “शुचिता, सत्य, संयम, सात्त्विकता का पालन करूँगा, पर स्वास्थ्य/सेवा‑आवश्यकता के कारण यदि ग्रूमिंग करनी पड़ी तो तदनुसार करूँगा।” इस स्पष्ट संकल्प से आप धर्म और कर्तव्य दोनों निभाते हैं। इसलिए प्रश्न रहे—नवरात्रि में दाढ़ी बनाना चाहिए या नहीं—तो परिस्थिति‑विवेक और गुरु‑मार्गदर्शन के साथ निर्णय लें। और यदि संकल्प मध्यम स्तर का है, तो लोग अष्टमी‑नवमी तक रुककर बाद में नवरात्रि में दाढ़ी बना सकते हैं की व्यावहारिक राह अपनाते हैं।
शुचिता का व्यापक अर्थ: केवल बाहरी नहीं, भीतरी भी
वास्तव में नवरात्रि का सार “भीतरी शुचिता” है—वाणी, विचार, आहार, व्यवहार सबमें सात्त्विकता। बाहरी अनुशासन इसका दृश्य प्रतीक है, पर जो मूल उद्देश्य है, वह मन का परिष्कार है। इस दृष्टि से यदि कोई साधक पूछे—नवरात्रि में दाढ़ी बनाना चाहिए या नहीं—तो उत्तर संक्षेप में यह होगा कि जो भी करें, वह साधना की भावना और संकल्प की गरिमा के अनुकूल हो। यदि नियम निभाने से मन स्थिर होता है तो रुकना श्रेयस्कर है; यदि सेवा‑धर्म बाधित होता है तो संकल्प‑समन्वय से नवरात्रि में दाढ़ी बना सकते हैं।
कब कर सकते हैं? लोकरीति में अष्टमी/नवमी और विजयदशमी
बहुत‑से घरों में अष्टमी‑नवमी के पूजन के बाद या सीधे विजयदशमी (दशहरा) से सामान्य दिनचर्या शुरू करने की परंपरा है। इस कारण व्यवहार में यह मार्ग लोकप्रिय है: व्रतकाल पूर्ण होते ही नवरात्रि में दाढ़ी बना सकते हैं—अर्थात इसके बाद ग्रूमिंग करना उचित माना जाता है। इसी क्रम में बार‑बार उठने वाले सवाल—नवरात्रि में दाढ़ी बनाना चाहिए या नहीं—का व्यावहारिक उत्तर यही निकलता है कि व्रत‑पूजन संपन्न होने के बाद आप निर्भय होकर ग्रूमिंग कर सकते हैं।
क्या‑क्या ध्यान रखें: संक्षिप्त दिशानिर्देश
- संकल्प लिखित/मौखिक रूप में स्पष्ट करें, ताकि बाद में द्वंद्व न रहे—नवरात्रि में दाढ़ी बनाना चाहिए या नहीं जैसे प्रश्न स्वतः सुलझ जाते हैं।
- यदि कठोर नियम लिए हैं, तो प्रतिपदा से नवमी तक रुकें; उसके पश्चात नवरात्रि में दाढ़ी बना सकते हैं की स्थिति स्वयंसिद्ध है।
- स्वास्थ्य, सेवा या स्वच्छता‑मानकों के कारण अपवाद आवश्यक हो तो गुरु/आचार्य से परामर्श लेकर संतुलित निर्णय लें।
अंत में: परंपरा, विवेक और साधना का संतुलन
नवरात्रि बाहरी नियमों के साथ भीतरी साधना का अपूर्व अनुष्ठान है। परिवार की रीति, गुरु‑उपदेश और व्यक्तिगत परिस्थिति मिलकर मार्ग दिखाते हैं। जो साधक शास्त्रीयता और समकालीन जिम्मेदारियों के बीच सामंजस्य बनाना चाहते हैं, उनके लिए प्रश्न—नवरात्रि में दाढ़ी बनाना चाहिए या नहीं—किसी कट्टर हाँ/ना में नहीं, बल्कि संकल्प‑आधारित विवेक में सुलझता है। और जब व्रत‑काल पूर्ण हो जाए, तो सामान्य जीवन में लौटते हुए नवरात्रि में दाढ़ी बना सकते हैं—यह समझ प्राकृतिक रूप से आचरण में उतर जाती है।
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Last Updated on सितम्बर 21, 2025 by Hinditerminal.com