You are currently viewing पौष माह 2024-2025 में कब होगा शुरू? जानें तिथि, महत्व और त्यौहार

पौष माह 2024-2025 में कब होगा शुरू? जानें तिथि, महत्व और त्यौहार

पौष माह 2024 तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष माह वर्ष का दसवां माह होता है। यह माह 16 दिसंबर 2024 से शुरू होकर 13 जनवरी 2025 को समाप्त होगा और मराठी पंचांग के अनुसार, पौष माह 31 दिसंबर 2024 से शुरू होकर 29 जनवरी 2025 को समाप्त होगा। पौष माह को पूस का महीना भी कहा जाता है। यह माह भगवान सूर्य और पितरों की पूजा के लिए विशेष महत्व रखता है।

पौष माह का महत्व

पौष माह को हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र माना जाता है। इस माह में भगवान सूर्य की पूजा करने से मनुष्य को तेज, बल, बुद्धि और धन की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, इस माह में पितरों को पिंडदान देने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पौष माह में पड़ने वाले प्रमुख व्रत और त्योहार इस प्रकार हैं:

  • सफल एकादशी: पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को सफल एकादशी कहा जाता है। इस व्रत को करने से मनुष्य के सभी कार्य सफल होते हैं।
  • पौष अमावस्या: पौष माह की अमावस्या को छोटा पितृपक्ष कहा जाता है। इस दिन पितरों को पिंडदान देने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • पौष पुत्रदा एकादशी: पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। इस व्रत को करने से निसंतान दंपत्ति को संतान प्राप्त होती है।

पौष माह एक ऐसा माह है जो हमें अपने पूर्वजों और भगवान सूर्य की याद दिलाता है। इस माह में हमें अपने पूर्वजों को पिंडदान देकर उनकी आत्मा को शांति देनी चाहिए। इसके अलावा, हमें भगवान सूर्य की पूजा करके उनका आशीर्वाद लेना चाहिए।

पौष माह व्रत और त्योहार

पौष माह में पड़ने वाले व्रत और त्योहार इस प्रकार हैं:

शुक्ल पक्ष

  • सफल एकादशी (26 दिसंबर 2024): पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को सफल एकादशी कहा जाता है। इस व्रत को करने से मनुष्य के सभी कार्य सफल होते हैं। इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके विधिवत व्रत का संकल्प लेना चाहिए। पूरे दिन फलाहार करना चाहिए और शाम को भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु को तुलसीदल, पीले फूल और मिठाई अर्पित करनी चाहिए।

कृष्ण पक्ष

  • पौष अमावस्या (29 जनवरी 2025): पौष माह की अमावस्या को छोटा पितृपक्ष कहा जाता है। इस दिन पितरों को पिंडदान देने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके विधिवत पितरों का श्राद्ध करना चाहिए। पितरों को अर्पित करने के लिए गाय का दूध, दही, घी, शहद, जौ, चावल, तिल, कुश, फल, फूल, मिठाई आदि का भोग लगाना चाहिए।
  • पौष पुत्रदा एकादशी (10 जनवरी 2025): पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। इस व्रत को करने से निसंतान दंपत्ति को संतान प्राप्त होती है। इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके विधिवत व्रत का संकल्प लेना चाहिए। पूरे दिन फलाहार करना चाहिए और शाम को भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु को तुलसीदल, पीले फूल और मिठाई अर्पित करनी चाहिए।

इन व्रतों और त्योहारों का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इन व्रतों और त्योहारों को मनाने से मनुष्य को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।

पौराणिक कथा

पौष माह से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय में एक राजा थे जिनके कोई संतान नहीं थी। वे बहुत दुखी थे। एक दिन उन्होंने एक ऋषि से पुत्र प्राप्ति का उपाय पूछा। ऋषि ने उन्हें पौष माह में पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत करने का उपदेश दिया। राजा ने व्रत किया और उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई।

इस कथा से पता चलता है कि पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत निसंतान दंपत्ति के लिए अत्यंत लाभकारी है।

tags – पूस का महीना कब खत्म होगा 2025 | poos ka mahina 2025 | paush month 2025 | पौष महीना कब खत्म होगा 2025

समापन

इस ब्लॉग के माध्यम से हमने पौष माह 2024-2025 की तिथि, महत्व, व्रत और त्योहारों के बारे में जानकारी दी है। आपको इस ब्लॉग से धार्मिक ज्ञान प्राप्त होगा और आप अपने जीवन में इसका अनुपालन कर सकेंगे।

Click here to read this article in Hindi

प्रातिक्रिया दे