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श्रावण मास, जिसे श्रावण महीना भी कहा जाता है, हिंदू संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह वर्ष के सबसे पवित्र महीनों में से एक है। श्रावण हिंदू पंचांग का पांचवां मास होता है, जो सामान्यतः जुलाई और अगस्त के बीच आता है। वर्ष 2025 में श्रावण मास 11 जुलाई 2025 से प्रारंभ होगा।
यह महीना मुख्य रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दौरान व्रत, पूजा और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं, जिनमें विशेष रूप से श्रावण सोमवार व्रत का पालन किया जाता है। पूरे महीने का विशेष महत्व होता है, लेकिन सोमवार (श्रावण सोमवार) भक्तों के लिए अत्यंत विशेष होता है, जब वे भगवान शिव की विशेष पूजा करते हैं।
आइए जानें कि वर्ष 2025 में श्रावण मास कब शुरू होगा, इसका महत्व क्या है, और इससे जुड़े धार्मिक रीति-रिवाज़ क्या हैं।
2025 में श्रावण मास कब शुरू होगा?
वर्ष 2025 में श्रावण मास 11 जुलाई 2025 को प्रारंभ होगा। यह श्रावण पूर्णिमा से शुरू होता है, जो हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास की शुरुआत का प्रतीक है। इस अवधि में लोग धार्मिक उत्साह के साथ भगवान शिव की पूजा, मंत्र जाप और व्रत जैसे अनेक आध्यात्मिक कार्यों में लीन हो जाते हैं।
श्रावण मास 2025 की शुरुआत और समापन तिथि (राज्यवार जानकारी)
हालाँकि पूरे भारत में श्रावण मास लगभग एक ही समय पर मनाया जाता है, लेकिन अलग-अलग राज्यों में पंचांग की गणना के अनुसार इसकी शुरुआत और समाप्ति की तारीखों में थोड़ा अंतर हो सकता है।
उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, छत्तीसगढ़ और दिल्ली जैसे राज्यों में श्रावण मास 11 जुलाई 2025 से शुरू होकर 9 अगस्त 2025 को समाप्त होगा।
तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गोवा और गुजरात जैसे राज्यों में पंचांग के अनुसार थोड़ी अलग गणना होती है, और यहाँ श्रावण मास 25 जुलाई से 23 अगस्त 2025 तक माना जाएगा।
नेपाल और हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड के कुछ भागों में यह 16 जुलाई से 16 अगस्त 2025 तक पड़ सकता है, हालाँकि व्रत और पूजा की शुरुआत की तिथियों में थोड़ा अंतर हो सकता है।
श्रावण मास का महत्व
श्रावण मास हिंदू पंचांग के अनुसार अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस मास में ब्रह्मांडीय ऊर्जा ऐसी होती है कि भगवान शिव से जुड़ना और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना अधिक सहज हो जाता है।
- भगवान शिव की आराधना: यह मास मुख्य रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है। भक्त मानते हैं कि इस दौरान की गई पूजा विशेष फलदायी होती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- आध्यात्मिक शुद्धि: श्रावण मास में व्रत और पूजा से आत्मा की शुद्धि होती है और मन को शांति मिलती है। भक्त व्रत रखकर भगवान शिव से अपने संबंध को प्रगाढ़ करते हैं।
- पुण्य की प्राप्ति: इस मास में दान-पुण्य करना अत्यंत शुभ माना गया है। जो भी अच्छे कर्म इस मास में किए जाते हैं, वे विशेष फल प्रदान करते हैं।
- ज्योतिषीय महत्व: ज्योतिष के अनुसार, श्रवण नक्षत्र इस मास पर प्रभाव डालता है, जो आध्यात्मिक उन्नति और भौतिक समृद्धि के लिए शुभ माना जाता है।
श्रावण सोमवार व्रत 2025
श्रावण सोमवार व्रत, श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को रखा जाता है और भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गोवा और गुजरात में श्रावण सोमवार व्रत तिथियाँ:
- सोमवार, 28 जुलाई 2025 – पहला श्रावण सोमवार
- सोमवार, 4 अगस्त 2025 – दूसरा श्रावण सोमवार
- सोमवार, 11 अगस्त 2025 – तीसरा श्रावण सोमवार
- सोमवार, 18 अगस्त 2025 – चौथा और अंतिम श्रावण सोमवार
उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, छत्तीसगढ़ और दिल्ली में श्रावण सोमवार व्रत तिथियाँ:
- सोमवार, 14 जुलाई 2025 – पहला श्रावण सोमवार
- सोमवार, 21 जुलाई 2025 – दूसरा श्रावण सोमवार
- सोमवार, 28 जुलाई 2025 – तीसरा श्रावण सोमवार
- सोमवार, 4 अगस्त 2025 – चौथा और अंतिम श्रावण सोमवार
श्रावण सोमवार व्रत में क्या होता है?
इस दिन भक्त सूर्योदय से सूर्यास्त तक व्रत रखते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं। शिव मंदिरों में जाकर शिवलिंग पर जल चढ़ाना, बेलपत्र अर्पित करना और अभिषेक करना (दूध, जल और शहद से स्नान कराना) प्रमुख अनुष्ठान होते हैं।
कुछ भक्त पूर्ण उपवास करते हैं, जबकि कुछ फलाहार या उपवास में अनुमत खाद्य पदार्थ ग्रहण करते हैं। इस दिन का व्रत आत्मा की शुद्धि और पापों के नाश के लिए किया जाता है।
इस दिन विशेष रूप से “महामृत्युंजय मंत्र” का जाप किया जाता है, जिससे आयु, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है।
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हिंदू संस्कृति में श्रावण सोमवार व्रत का महत्व
श्रावण सोमवार व्रत केवल भोजन से संयम रखने का दिन नहीं है, बल्कि यह एक गहन आध्यात्मिक साधना का रूप है।
- मन और शरीर की शुद्धि: उपवास से मन शांत होता है और शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है। भक्तों का विश्वास है कि इस साधना से अहंकार का नाश होता है।
- श्रद्धा की प्रबलता: यह व्रत श्रद्धा को दृढ़ करता है। भक्त व्रत रखकर भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने की कामना करते हैं।
- वैवाहिक सुख के लिए: अनेक महिलाएं सुखद वैवाहिक जीवन के लिए श्रावण सोमवार का व्रत करती हैं। माना जाता है कि इससे उन्हें योग्य और प्रेमपूर्ण पति की प्राप्ति होती है।
- स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए: यह व्रत अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु का प्रतीक है। भगवान शिव का आशीर्वाद रोगों से रक्षा करता है।
निष्कर्ष: श्रावण मास 2025 का उत्सव
अंततः, श्रावण मास 2025 एक ऐसा समय है जब भक्तगण गहराई से आत्मचिंतन, उपासना और उपवास द्वारा अपने जीवन को आध्यात्मिक ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं। चार सोमवारों के व्रत इस मास को और भी पवित्र बनाते हैं।
चाहे वह उपवास का धार्मिक महत्व हो, भगवान शिव की भक्ति हो, या मंत्रों का जाप—श्रावण मास हिंदू संस्कृति में भक्ति और आध्यात्मिक जागरण का प्रतीक है।
इस पवित्र अवसर का लाभ उठाकर भक्त अपने मन को शुद्ध कर सकते हैं, श्रद्धा को सुदृढ़ कर सकते हैं, और भगवान शिव का कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: Shravan Maas 2025: Key Dates, Significance, and Fasting Rituals Explained