लक्ष्मी पूजन 2025 कब है? जानें सही तिथि, पूजा विधि और महत्व.lakshmi pujan 2025.

दीपावली का पर्व भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा और प्रमुख त्योहार है। इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी और विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा की जाती है। मान्यता है कि लक्ष्मी पूजन करने से घर में सुख-समृद्धि, धन-धान्य और वैभव की प्राप्ति होती है। वर्ष 2025 में लक्ष्मी पूजन कब किया जाएगा, इसका शुभ मुहूर्त क्या होगा और इसे विधिवत कैसे करना चाहिए, आइए जानते हैं विस्तार से।

लक्ष्मी पूजन 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

  • लक्ष्मी पूजन 2025 – तिथि अनुसार जानकारी

🔹 20 अक्टूबर 2025 (सोमवार) – द्रिक पंचांग के अनुसार

  • अमावस्या तिथि प्रारंभ: 20 अक्टूबर, सुबह 06:30 बजे
  • अमावस्या तिथि समाप्त: 21 अक्टूबर, सुबह 04:32 बजे
  • लक्ष्मी पूजन मुहूर्त: 20 अक्टूबर शाम 06:24 से 08:21 बजे तक
  • प्रदोष काल: शाम 05:57 से 08:21 बजे तक
  • मध्य रात्रि लक्ष्मी पूजन मुहूर्त: 11:42 रात – 12:36 (21 अक्टूबर)
    👉 उत्तर भारत और कुछ पंचांगों के अनुसार 20 अक्टूबर को ही पूजन श्रेष्ठ माना जाएगा।

🔹 21 अक्टूबर 2025 (मंगलवार) – कालनिर्णय  (महाराष्ट्र में प्रचलित)

  • अमावस्या तिथि प्रारंभ: 20 अक्टूबर, सुबह 06:30 बजे
  • अमावस्या तिथि समाप्त: 21 अक्टूबर, प्रातः 04:32 बजे
  • लक्ष्मी पूजन मुहूर्त: 21 अक्टूबर शाम 06:22 से 08:20 बजे तक
  • प्रदोष काल: शाम 05:56 से 08:20 बजे तक
    👉 महाराष्ट्र और कालनिर्णय पंचांग के अनुसार 21 अक्टूबर को ही लक्ष्मी पूजन किया जाएगा।

लक्ष्मी पूजन 2025 की तैयारी

  1. घर की सफाई – माता लक्ष्मी स्वच्छ और पवित्र घर में ही प्रवेश करती हैं। इसलिए दीपावली से पहले घर की अच्छे से सफाई करना अत्यंत आवश्यक है। घर के प्रत्येक कोने को धूल-मिट्टी से मुक्त करना चाहिए, दरवाजों और खिड़कियों को साफ करके सजाना चाहिए ताकि वातावरण पवित्र और आकर्षक बने। मान्यता है कि स्वच्छ घर में ही लक्ष्मीजी का स्थायी वास होता है।
  2. सजावट – घर को केवल रंगोली, दीपक और पुष्पों से ही नहीं, बल्कि तोरण, झालर और कंदीलों से भी सजाया जाता है। मुख्य द्वार पर सुंदर रंगोली बनाकर उसके चारों ओर दीये सजाना शुभ माना जाता है। दीपमालिकाएँ, बिजली की लाइटें और सुगंधित अगरबत्तियाँ वातावरण को दिव्य और पवित्र बना देती हैं।
  3. चौकी तैयार करें – लाल या पीले कपड़े से ढकी चौकी पर गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमा रखें। प्रतिमा को पहले स्वच्छ जल और गंगाजल से स्नान कराकर शुद्ध किया जाता है, इसके बाद नए वस्त्र पहनाए जाते हैं। फिर उन्हें पुष्पमाला, आभूषण, श्रृंगार सामग्री और सुगंधित चंदन से सजाया जाता है। चौकी पर अक्षत और रोली से स्वस्तिक बनाना भी शुभ माना जाता है।
  4. गणपति स्थापना – पान पर हलकुंड (हल्दी की गांठ), सुपारी, खारीक (सूखा खजूर), बादाम, थोडे से अक्षत (चावल), दूर्वा और हल्दी-कुमकुम रखकर गणेश जी स्थापित की जाती है।
  5. कलश स्थापना – जल, सुपारी, सिक्के, आम के पत्ते या पान के पत्ते और नारियल रखकर कलश स्थापित करें। कलश पर मौली बांधना और उसके ऊपर नारियल रखना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  6. बुटले और बतासे – परंपरा के अनुसार लक्ष्मी पूजन में पाँच बुटले (छोटे मिट्टी के पात्र) लिए जाते हैं। इन बुटलों में पहले से लाह्या (लाह्या / लई / खील = भाजलेले तांदूळ (Puffed Rice)) भरी जाती है। प्रत्येक बुटले के ऊपर बतासा रखकर इन्हें पूजा स्थल पर कलश और प्रतिमाओं के सामने सजाया जाता है। पूजन के समय इन्हें देवी-देवताओं को अर्पित किया जाता है और मंत्रोच्चार के साथ पुष्प, अक्षत और जल अर्पित करके इन्हें पवित्र किया जाता है। पूजा संपन्न होने के बाद इन बुटलों और बतासों को प्रसाद के रूप में परिवारजनों, बच्चों और अतिथियों में बांटा जाता है। मान्यता है कि इस प्रसाद के सेवन से सुख-समृद्धि, सौभाग्य और घर-परिवार में स्थायी आनंद की प्राप्ति होती है।
  7. विविध फल – पूजा के समय अनार, सेब, केला, नारियल आदि फल कलश और मूर्तियों के सामने रखे जाते हैं। यह समृद्धि और स्वास्थ्य का प्रतीक माने जाते हैं।
  8. मिठाई और सूखे मेवे – पूजा में मिठाई, मखाने और सूखे मेवे भी अर्पित किए जाते हैं। यह भोग के रूप में देवी लक्ष्मी को अर्पित कर बाद में प्रसाद स्वरूप बांटे जाते हैं।
  9. पूजन के बाद – बुटले-बतासे, फल और मिठाई का प्रसाद सभी को बांटा जाता है जिससे परिवार और समाज में सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

लक्ष्मी पूजन 2025 विधि

  1. संकल्प लें – पूजा से पहले शुद्ध आसन पर बैठकर संकल्प करें कि आप पूरे नियम और श्रद्धा से लक्ष्मी पूजन कर रहे हैं। संकल्प के लिए दाहिने हाथ में अक्षत, पुष्प और जल लेकर संकल्प मंत्र बोला जाता है। इसमें यह भाव व्यक्त करना चाहिए कि माता लक्ष्मी आपके घर में स्थायी रूप से निवास करें।
  2. गणेश पूजन – सबसे पहले विघ्नहर्ता गणेशजी का पूजन करना अनिवार्य है। उन्हें स्नान कराकर सिंदूर, दूर्वा, मोदक और पुष्प अर्पित करें। गणपति की पूजा के बिना कोई भी शुभ कार्य पूर्ण नहीं माना जाता।
  3. लक्ष्मीजी का पूजन
    • लक्ष्मी माता को पहले गंगाजल और पंचामृत से स्नान कराएँ, फिर स्वच्छ कपड़े पहनाएँ।
    • रोली, हल्दी, अक्षत, पुष्प और सुगंधित चंदन अर्पित करें।
    • दीप, धूप, अगरबत्ती और कपूर से आरती करें।
    • विविध फल जैसे सेब, केला, अनार, नारियल और मिठाई का भोग लगाएँ।
    • घर की तिजोरी,दागिने,जेवरात,बहीखाते, झाड़ू और व्यापार से संबंधित वस्तुओं की भी पूजा करें।
    • बुटले और बतासे मूर्तियों के सामने अर्पित करें और प्रसाद स्वरूप बांटें।
  4. कुबेर पूजन – धन के देवता कुबेर की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीप जलाकर अक्षत और पुष्प अर्पित करें। मान्यता है कि लक्ष्मी के साथ कुबेर की पूजा करने से धन वृद्धि होती है और घर की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
  5. मंत्र जाप और आरती – “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का 108 बार जप करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। अंत में लक्ष्मीजी की आरती पूरे परिवार के साथ करें और प्रसाद ग्रहण कर पूजा संपन्न करें।

लक्ष्मी पूजन का महत्व

यह दिन धन, ऐश्वर्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस पर्व पर माता लक्ष्मी की आराधना करने से न केवल आर्थिक सम्पन्नता मिलती है बल्कि परिवार में आपसी प्रेम और एकता भी बढ़ती है।

मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर घर में स्थायी निवास करती हैं और घर-परिवार को दरिद्रता से मुक्त कर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आत्मविश्वास का संचार होता है।

व्यापारी वर्ग इस दिन अपने नए बहीखाते की शुरुआत करता है, जिसे चोपड़ा पूजन भी कहा जाता है। इससे यह विश्वास प्रकट होता है कि आने वाला नया वर्ष व्यापार और व्यवसाय में उन्नति लाने वाला होगा। किसान भी अपनी उपज और अन्न का अर्पण करके माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

दीपक जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सकारात्मकता का संचार होता है। दीपों की ज्योति अंधकार और अज्ञान को दूर करके ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक बन जाती है। इस दिन दीपावली की रात घर-घर में दीपमालाएँ सजाई जाती हैं जो वातावरण को दिव्य और पवित्र बना देती हैं।

लक्ष्मी पूजन में ध्यान देने योग्य बातें

पूजन प्रदोष काल में ही करना सबसे उत्तम माना गया है। प्रदोष काल वह समय है जब वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर होता है और देवी-देवताओं की कृपा आसानी से प्राप्त होती है। इसलिए लक्ष्मी पूजन इसी समय करना चाहिए ताकि पूजा का फल कई गुना अधिक मिले।

घर के मुख्य द्वार पर दीप जलाना बेहद जरूरी है क्योंकि मान्यता है कि दीपक की रोशनी से माँ लक्ष्मी का स्वागत होता है। दरवाजे पर रखा दीप घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश कराता है और नकारात्मक शक्तियों को बाहर रखता है।

पूजा के समय परिवार के सभी सदस्य उपस्थित रहें। सामूहिक रूप से पूजा करने से न केवल पारिवारिक बंधन मजबूत होते हैं, बल्कि सामूहिक ऊर्जा से पूजा और अधिक प्रभावशाली बन जाती है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी को पूजा में शामिल करना शुभ होता है।

सारांश

लक्ष्मी पूजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की गहराई से जुड़ी परंपरा है। यह परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है और इसमें श्रद्धा, विश्वास और आध्यात्मिक ऊर्जा का विशेष संगम होता है। दीपावली की रात लक्ष्मी पूजन करके हम न केवल धन और ऐश्वर्य की कामना करते हैं बल्कि यह भी मानते हैं कि माता लक्ष्मी घर-परिवार में शांति, संतोष और सकारात्मक ऊर्जा लेकर आती हैं।

पूजा का असली महत्व केवल धन प्राप्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन में संतुलन, सद्भाव और नैतिकता बनाए रखने की प्रेरणा भी देता है। लक्ष्मी पूजन करते समय परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर आराधना करते हैं, जिससे आपसी प्रेम और एकता और अधिक मजबूत होती है। इस प्रकार यह पर्व सामाजिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

विधिवत पूजन के माध्यम से माता लक्ष्मी और भगवान गणेश का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है। इससे घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है तथा जीवन में प्रगति और आनंद का द्वार खुलता है।

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Last Updated on अगस्त 25, 2025 by Hinditerminal.com