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लक्ष्मी पूजन 2024: दिवाली के दिन माँ लक्ष्मी की पूजा के लिए कौन सा समय शुभ रहेगा?

दिवाली का त्योहार न केवल खुशियों, रोशनी और मिठाइयों का पर्व है, बल्कि यह माँ लक्ष्मी की पूजा का विशेष दिन भी है। दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्त्व है, क्योंकि यह दिन देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का माना गया है। लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त में किए गए पूजन से माँ लक्ष्मी की कृपा से सुख-समृद्धि और शांति का आगमन होता है। वर्ष 2024 में, दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का सही मुहूर्त क्या होगा, यह जानना अत्यधिक आवश्यक है। इस ब्लॉग में हम आपको Diwali Laxmi Puja 2024 के सही समय, पूजा विधि, पौराणिक मान्यताओं, और विशेष पूजन सामग्री के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे।

1. दिवाली और लक्ष्मी पूजन का महत्त्व

दिवाली का त्योहार हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। इसे प्रकाश का पर्व कहा जाता है और यह बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। दिवाली पर लक्ष्मी पूजन विशेष रूप से इसलिए किया जाता है क्योंकि माँ लक्ष्मी को धन, ऐश्वर्य, समृद्धि, और सुख का देवी माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन माँ लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और जो भी भक्त उन्हें सच्चे मन से पूजता है, उसके घर में वे स्थायी रूप से निवास करती हैं।

दिवाली पर लक्ष्मी पूजन में विशेष रूप से व्यापारियों के लिए यह दिन अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। वे अपने बहीखाते, तिजोरी, और व्यापार स्थल पर माँ लक्ष्मी की पूजा करते हैं। इस दिन दीप जलाकर माँ लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है।

2. दिवाली 2024 की तिथि और लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त

Diwali Laxmi Puja 2024 की तिथि इस बार 1 नवंबर को होगी। इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा करने के लिए एक विशेष मुहूर्त का निर्धारण किया गया है, जो ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सर्वोत्तम और शुभ माना जाता है।

  • दिवाली 2024 तिथि: 1 नवंबर 2024
  • लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त:
    • प्रदोष काल: शाम 5:35 बजे से रात 8:06 बजे तक
    • वृषभ काल: शाम 6:19 बजे से रात 8:15 बजे तक
  • अमावस्या तिथि आरंभ: 31 अक्टूबर 2024, 3:52 PM
  • अमावस्या तिथि समाप्त: 1 नवंबर 2024, 6:16 PM

लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त विशेष रूप से प्रदोष और वृषभ काल में करने का महत्त्व होता है, क्योंकि यह समय माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सर्वोत्तम समय माना जाता है।

3. लक्ष्मी पूजन का विशेष समय

लक्ष्मी पूजन के लिए प्रदोष काल और वृषभ काल को अत्यधिक शुभ माना गया है। प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद का समय होता है, जब माँ लक्ष्मी की पूजा करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा, वृषभ काल में लक्ष्मी पूजन करने का विशेष फल मिलता है, क्योंकि यह समय माँ लक्ष्मी की कृपा का प्रतीक माना जाता है।

4. लक्ष्मी पूजन का इतिहास और धार्मिक मान्यता

लक्ष्मी पूजन का इतिहास और धार्मिक मान्यताएँ बहुत प्राचीन हैं। इसे सतयुग से ही मनाया जाता आ रहा है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान राम अयोध्या लौटे थे, और उनके स्वागत के लिए पूरे नगर को दीपों से सजाया गया था। इसी दिन माता सीता का भी स्वागत हुआ था, और इसे धन और समृद्धि के पर्व के रूप में माना गया।

एक अन्य मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान अमावस्या की रात को देवी लक्ष्मी का प्रकट होना हुआ था। तभी से इस दिन को उनके पूजन के लिए सर्वोत्तम माना गया।

5. लक्ष्मी पूजन से जुड़ी पौराणिक कथाएँ

लक्ष्मी पूजन से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध है समुद्र मंथन की कथा। समुद्र मंथन के समय देवी लक्ष्मी प्रकट हुईं थीं और उनके प्रकट होने के बाद संसार में समृद्धि और धन का आगमन हुआ। तभी से इस दिन लक्ष्मी पूजन का महत्त्व बढ़ गया।

एक अन्य कथा में यह भी कहा गया है कि लक्ष्मी जी ने अमावस्या के दिन भगवान विष्णु से विवाह किया था। इसलिए, इस दिन लक्ष्मी पूजा को अत्यंत शुभ और पवित्र माना गया है।

6. दीवाली पर लक्ष्मी पूजन के साथ अन्य कथाएँ

इसके साथ ही दीवाली पर लक्ष्मी पूजन की एक अन्य कथा यह भी है कि दानव राजा बलि ने भगवान विष्णु से वरदान प्राप्त किया था कि वे उनके साथ हर समय रहेंगी। उस समय माँ लक्ष्मी ने राजा बलि के यहाँ जाकर उनके कष्टों का निवारण किया था।

इस तरह की कई कथाएँ लक्ष्मी पूजन से जुड़ी हुई हैं, जो इसके धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व को और अधिक बढ़ाती हैं।

7. दिवाली पर लक्ष्मी पूजन और अन्य त्योहारों का संबंध

दिवाली का संबंध धनतेरस और भाई दूज जैसे अन्य त्योहारों से भी है। धनतेरस पर जहां स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए पूजा की जाती है, वहीं भाई दूज पर भाई-बहन के रिश्ते का सम्मान किया जाता है। दिवाली का यह पांच दिवसीय पर्व आपसी संबंधों को और मजबूत बनाता है।

इसमें लक्ष्मी पूजन का स्थान बहुत महत्त्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह पूरे पर्व का मुख्य आकर्षण और देवी लक्ष्मी की कृपा पाने का सर्वोत्तम समय माना जाता है।

8. लक्ष्मी पूजन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व

लक्ष्मी पूजन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व अत्यधिक है। इस दिन की पूजा न केवल धार्मिक कर्तव्यों का पालन है, बल्कि यह भारतीय समाज की आर्थिक और सांस्कृतिक संरचना का भी हिस्सा है। दीपावली पर लक्ष्मी पूजन से परिवार में आर्थिक स्थिरता और समृद्धि का आगमन होता है।

सांस्कृतिक रूप से यह त्योहार हमें आपसी संबंधों और सामूहिकता की भावना को प्रकट करने का अवसर भी प्रदान करता है। लक्ष्मी पूजन के दौरान घरों में दीप जलाकर अंधकार को दूर किया जाता है और उजाले का स्वागत किया जाता है।

लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त में की गई पूजा से माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। Diwali Laxmi Puja 2024 आपके लिए खुशियों का उजाला लाए और माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद आपके घर को हमेशा रोशन बनाए रखे।

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