अक्षय तृतीया 2025: जानिए हर महत्वपूर्ण जानकारी | Akshaya tritiya 2025

अक्षय तृतीया, जिसे अखा तीज भी कहा जाता है, एक शुभ हिंदू और जैन त्योहार है जो समृद्धि, धन और नई शुरुआत का प्रतीक है। यह पर्व वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन को हर नए कार्य, निवेश और सोने की खरीदारी के लिए बेहद शुभ माना जाता है।

आइए जानें कि अक्षय तृतीया 2025 में कब है, इसका महत्व और इसे मनाने की परंपराएं क्या हैं।

अक्षय तृतीया 2025 में कब है?

अक्षय तृतीया 2025 में बुधवार, 30 अप्रैल 2025 को है।

शुभ तिथि और समय (Auspicious Timings):

  • तृतीया तिथि शुरू होती है: 29 अप्रैल 2025, शाम 5:31 बजे
  • तृतीया तिथि समाप्त होती है: 30 अप्रैल 2025, दोपहर 2:12 बजे
  • पूजा मुहूर्त: सुबह 5:58 बजे से दोपहर 12:24 बजे तक

यह दिन ग्रहों की अशुभ दशाओं से मुक्त है, इसलिए इसे हर शुभ कार्य के लिए उत्तम माना जाता है।

अक्षय तृतीया का महत्व

अक्षय तृतीया को हिंदू और जैन परंपराओं में कई ऐतिहासिक और धार्मिक घटनाओं से जोड़ा जाता है:

  1. अक्षय तृतीया तिथि का शाब्दिक अर्थ:
    “अक्षय” का अर्थ है “जिसका कभी क्षय न हो।” यह दिन समृद्धि, अनंत शुभता और स्थायी सफलता का प्रतीक है।
  2. ज्योतिषीय महत्व:
    यह दिन ग्रहों की शुभ स्थिति के कारण अत्यधिक शुभ माना जाता है।
  3. पौराणिक कथाएं:
    • परशुराम जयंती: भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम का जन्म इसी दिन हुआ था।
    • महाभारत लेखन का प्रारंभ: महर्षि वेदव्यास ने इसी दिन गणेश जी को महाभारत का लेखन प्रारंभ करने को कहा।
    • सुदामा और कृष्ण की कहानी: इस दिन सुदामा ने श्रीकृष्ण से भेंट की, और श्रीकृष्ण ने उन्हें धन और समृद्धि का आशीर्वाद दिया।
    • पांडवों को अक्षय पात्र: इस दिन पांडवों को अक्षय पात्र प्राप्त हुआ था, जो कभी खाली नहीं होता था।

अक्षय तृतीया की परंपरा और रीति-रिवाज

अक्षय तृतीया परंपरागत रूप से पूजा, दान, और निवेश का पर्व है। आइए जानें इसे कैसे मनाया जाता है:

1. पूजा और उपासना (अक्षय तृतीया पूजा विधि)

  • सुबह जल्दी स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।
  • घर या मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें।
  • चावल, गेहूं, और जौ अर्पित करें।
  • मंत्रों का जाप करें और दीया जलाएं।
  • विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।

2. सोने की खरीदारी का महत्व

  • अक्षय तृतीया पर सोने की खरीदारी शुभ मानी जाती है।
  • सोना समृद्धि और मां लक्ष्मी की कृपा का प्रतीक है।
  • इसके अलावा, लोग चांदी, गहने, या अन्य कीमती धातुएं भी खरीदते हैं।

3. दान और पुण्य कार्य

  • गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े, और पैसे का दान करें।
  • मंदिरों में भोजन वितरण (अन्नदान) करना अक्षय पुण्य का काम माना जाता है।

4. नए कार्यों की शुरुआत

  • व्यापार शुरू करना, घर खरीदना, या नए प्रोजेक्ट पर काम शुरू करना इस दिन शुभ माना जाता है।

5. विवाह और मांगलिक कार्य

  • यह दिन विवाह के लिए सबसे शुभ दिनों में से एक है। इस दिन विवाह के लिए अलग मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती।

अक्षय तृतीया पर निवेश के लिए क्यों शुभ है?

1. ज्योतिषीय आधार

अक्षय तृतीया को ग्रहों की अशुभ स्थिति से मुक्त दिन माना जाता है। इसलिए इस दिन किया गया निवेश लाभकारी होता है।

2. नई संपत्ति की खरीदारी

लोग इस दिन जमीन, घर, वाहन आदि खरीदते हैं, ताकि वे लंबे समय तक लाभकारी रहें।

3. दीर्घकालिक निवेश

सोना, शेयर मार्केट, और म्यूचुअल फंड में निवेश करना इस दिन शुभ माना जाता है।

अक्षय तृतीया पर क्या न करें?

  • ऋण न लें: इस दिन उधार लेना या कर्ज देना अशुभ माना जाता है।
  • गुस्सा या विवाद न करें: शांति और सौहार्द्र बनाए रखें।
  • गैर-शाकाहारी भोजन से बचें: इस दिन शाकाहारी भोजन ग्रहण करना चाहिए।

अक्षय तृतीया पर क्या खरीदें और क्या न खरीदें?

क्या खरीदें?

  1. सोना और गहने: यह सबसे लोकप्रिय परंपरा है।
  2. चांदी और बर्तन: चांदी के बर्तन या पीतल की वस्तुएं खरीदना शुभ माना जाता है।
  3. अनाज और नमक: कई जगहों पर अनाज और नमक खरीदने की परंपरा है, जो अन्नपूर्णा देवी की कृपा का प्रतीक है।

क्या न खरीदें?

  • फटे हुए कपड़े या जूते: इन वस्तुओं को खरीदने से बचें।
  • अशुद्ध वस्तुएं: कोई भी अशुद्ध या टूटी वस्तु खरीदना अशुभ माना जाता है।

अक्षय तृतीया पर सवाल-जवाब (FAQs)

1. अक्षय तृतीया पर किस देवता की पूजा करनी चाहिए?

भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, और कुबेर देवता की पूजा करनी चाहिए।

2. अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त क्या है?

2025 में, पूजा का शुभ समय सुबह 5:58 बजे से दोपहर 12:24 बजे तक है।

3. अक्षय तृतीया पर नमक क्यों खरीदते हैं?

नमक खरीदना अन्नपूर्णा देवी की कृपा और समृद्धि का प्रतीक है।

4. क्या अक्षय तृतीया पर चावल खा सकते हैं?

हां, चावल खाना शुभ माना जाता है। यह देवी अन्नपूर्णा की कृपा का प्रतीक है।

5. अक्षय तृतीया क्यों मनाई जाती है?

यह पर्व समृद्धि, पौराणिक घटनाओं और शुभता का प्रतीक है।

6. अक्षय तृतीया का अर्थ क्या है?

“अक्षय” का अर्थ है “जो कभी नष्ट न हो।” यह अनंत समृद्धि और शुभता का प्रतीक है।

निष्कर्ष

अक्षय तृतीया 2025 नई शुरुआत, समृद्धि, और शुभता का पर्व है। इस दिन पूजा, दान, और निवेश से सकारात्मकता और खुशहाली आती है। इस पर्व की परंपराओं और रीति-रिवाजों का पालन करके आप अपने जीवन में स्थायी समृद्धि और शांति प्राप्त कर सकते हैं।

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