महाराष्ट्र
आज हम चलते हैं भारत के पश्चिमी तट पर बसे एक ऐसे राज्य की ओर, जिसकी संस्कृति उतनी ही रंगीन है जितना उसका नाम – महाराष्ट्र! हड़प्पा सभ्यता से लेकर मराठा साम्राज्य तक, यहां का इतिहास गौरवशाली है. यहां की भाषा मराठी, अपनी मीठी तान से मन मोह लेती है. खानपान में ज़ायके ऐसे बिखरे हैं कि जुबान चटपटा जाए! तो आइए आज उठते हैं इस संस्कृति के सफर पर और जानते हैं क्या है महाराष्ट्र का असली सार…
महाराष्ट्र, भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो अपनी ऐतिहासिक धरोहर, विविध भूमि, और विचारशील समृद्धि के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ का समृद्ध इतिहास, परंपरागत सांस्कृतिक विविधता, और रंगीन त्योहार इसे एक अद्वितीय राज्य बनाते हैं, जो समृद्धि की कहानी सुनाता है
कब और कैसे हुई महाराष्ट्र की स्थापना
महाराष्ट्र का इतिहास सदियों पुराना है. हड़प्पा सभ्यता के अवशेष यहां मिले हैं, जो बताते हैं कि ये धरती कभी सिंधु घाटी सभ्यता का हिस्सा हुआ करती थी. सातवाहन राजवंश, राष्ट्रकूट वंश, चालुक्य वंश जैसे साम्राज्यों ने यहां राज्य किया और कला, साहित्य, और स्थापत्य का गौरव बढ़ाया. किलों के ज़माने में अजंता-एलोरा की गुफाएं बनीं, जो आज भी विश्व विरासत हैं.
17वीं सदी में शिवाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य की नींव रखी, जिसने भारत के इतिहास में अहम भूमिका निभाई. छत्रपति शिवाजी के वंशजों ने सौ सालों तक सिक्कों पर अपनी ज़बरदस्त छाप छोड़ी.
19वीं सदी में ब्रिटिश राज के अधीन आने के बाद भी महाराष्ट्र की सांस्कृतिक अविरल धारा बहती रही. स्वतंत्रता आंदोलन में भी इस भूमि ने अनेकों वीरों को जन्म दिया और गणेश वासुदेव जोशी, सावित्रीबाई फुले, महात्मा ज्योतिबा फुले जैसे महापुरुषों को तराशा.
महाराष्ट्र राज्य की स्थापना 1 मई, 1960 को हुई थी। यह भारत के भाषायी पुनर्गठन के फलस्वरूप अस्तित्व में आया। इससे पहले, महाराष्ट्र के क्षेत्र को चार अलग-अलग प्रशासनों के नियंत्रण में रखा गया था:
बॉम्बे प्रेसीडेंसी
बरार प्रांत
मद्रास प्रेसीडेंसी
हैदराबाद राज्य
इन चारों प्रशासनों में मराठी भाषी लोगों की संख्या अधिक थी। इसलिए, मराठी भाषी लोगों ने महाराष्ट्र राज्य की मांग उठाई। इस मांग को देखते हुए, भारत सरकार ने 1956 में भाषायी पुनर्गठन आयोग का गठन किया। आयोग की सिफारिशों के आधार पर, 1 मई, 1960 को बॉम्बे प्रेसीडेंसी और बरार प्रांत को मिलाकर महाराष्ट्र राज्य बनाया गया।
महाराष्ट्र राज्य की स्थापना के लिए अनेक लोगों ने योगदान दिया। इनमें गणेश वासुदेव जोशी, सावित्रीबाई फुले, महात्मा ज्योतिबा फुले, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, डॉ. भीमराव अंबेडकर जैसे महापुरुषों का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है।
महाराष्ट्र का पारंपरिक पोशाख:
महाराष्ट्र की पारंपरिक वेशभूषा सादगी और रंगत का खूबसूरत संगम है.
महिलाओं की नौवारी साड़ी, जो नौ गज की होती है, खूबसूरती और गरिमा का प्रतीक है. कलीदार कुर्ता, पायजेब, झुमके, नथ, गजरा – ये सब मिलकर मराठी महिलाओं के शृंगार को पूरा करते हैं.
पुरुषों के लिए धोती-कुर्ता पारंपरिक परिधान है. पगड़ी, फेटा, दुपट्टा वगैरह भी पहने जाते हैं.
खास अवसरों पर खानदेशी साड़ी, कोल्हापुरी महाराष्ट्री पोशाक, ठुमड़ी साड़ी जैसी खास तरह की पोशाक भी पहनी जाती हैं. आधुनिकता के दौर में भी वेशभूषा में परंपरा को संजोया जाता हैं।
महाराष्ट्र का भोजन
महाराष्ट्र के व्यंजन उतने ही विविध हैं जितना यहां का भूगोल! मसालों का खूबसूरत मेल, चटपटा स्वाद, और देसी ज़ायका – यही यहां के खाने की पहचान है। मिसल पाव की तीखी चटनी, वरण भात की खुशबू, कोल्हापुरी मटन की तीखी ताल, पनिर कोल्हापुरी का ज़ायका, शेव भाजी की लज़ीज़ सिंपलिसिटी, पित्तोद की पौष्टिकता, वडापाव की चुलबुली खुशबू – हर बाइट में अलग एहसास मिलता है। मिठाइयों में भी विविधता है – पुराण पोली, गुलाची खीर, करंजी , मोहन दा खाजा, पर्सी, सोनपापड़ी ये केवल कुछ नाम हैं। इस के अलावा भी महाराष्ट्र के विदर्भ में उबले पर भून के कई पकवान बनाए जाते है जैसे की रोडगे, बिट्टा इत्यादि महाराष्ट्र में खाने से ज़्यादा प्यार शायद ही किसी चीज़ से हो!
महाराष्ट्र के तीर्थक्षेत्र
महाराष्ट्र एक धार्मिक रूप से समृद्ध राज्य है, जिसमें हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म के कई महत्वपूर्ण तीर्थस्थल हैं। इन तीर्थस्थलों को अक्सर भक्तों द्वारा दर्शन और पूजा के लिए जाना जाता है।
पंढरपुर:
स्थान: महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में स्थित है। पंडरपूर विठोबा का पवित्र धाम है, जो हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है। विठोबा की मंदिर यहाँ है, जो विशेष रूप से ‘वारी’ के दौरान आते हजारों भक्तों को आकर्षित करता है।
तुलजापूर :
महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले में स्थित है। तुलजापूर की माता भवानी का मंदिर यहाँ है, जो भवानी देवी के पवित्र रूप के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थान नारायणी पुराण के अनुसार भगवान विष्णु की अवतारी माना जाता है।
भीमाशंकर:
महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का स्थान है और यह एक प्राचीन शिव मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है। यहाँ की प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक आत्मा यात्रीयों को आकर्षित करती है।
घृष्णेश्वर:
महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है। घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग का स्थान है, और यह एक प्रमुख शिव मंदिर के रूप में माना जाता है। इसे आज भी विशेष धार्मिक अनुष्ठान और पूजा का केंद्र माना जाता है।
तुलशीपूर :
महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले में स्थित है। खासियत: यहाँ पंडरपूर की रानी तुलशीबाई के समर्थन से बना हुआ है, और यह एक प्रमुख तीर्थक्षेत्र है जो साधकों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
शिर्डी:
महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित है। खासियत: शिर्डी, श्री साईं बाबा के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, जो विश्वभर में अपनी कृपा और आशीर्वाद के लिए जाना जाता है। यहाँ आने वाले श्रद्धाभक्तों की संख्या हर वर्ष बढ़ रही है और शिर्डी धार्मिक पर्यटन का महत्वपूर्ण केंद्र बना हुआ है।
कोल्हापुर :
महालक्ष्मी मंदिर: महालक्ष्मी मंदिर मुंबई में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह मंदिर अपने सोने के आवरण और आकर्षक वास्तुकला के लिए जाना जाता है।
मुंबई :
सिद्धिविनायक मंदिर: सिद्धिविनायक मंदिर मुंबई में स्थित एक प्रसिद्ध गणेश मंदिर है। यह मंदिर अपने विशाल आकार और भव्य वास्तुकला के लिए जाना जाता है।
नाशीक :
त्र्यंबकेश्वर भारत के महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में स्थित एक पवित्र हिंदू तीर्थस्थल है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
शेगांव :
गजानन महाराज मंदिर: यह मंदिर शहर का सबसे प्रसिद्ध आकर्षण है। मंदिर गजानन महाराज की समाधि स्थल है।