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घटस्थापना 2024: शुभ मुहूर्त, विधि और महत्त्व

परिचय

घटस्थापना 2024 नवरात्रि के पहले दिन का एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है। इसे नवरात्रि की शुरुआत के प्रतीक रूप में देखा जाता है, जब देवी दुर्गा की उपासना के लिए घट या कलश की स्थापना की जाती है। घटस्थापना को नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी शक्ति की पूजा का प्रथम चरण माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, घटस्थापना के बिना नवरात्रि का शुभारंभ नहीं होता। इसे सही समय पर और विधिपूर्वक किया जाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

इस लेख में हम घटस्थापना के महत्त्व, इसकी विधि, शुभ मुहूर्त, और इससे जुड़ी पौराणिक कथाओं की जानकारी देंगे। साथ ही, हम घटस्थापना के साथ जुड़े रीति-रिवाजों, और इसके धार्मिक और आध्यात्मिक पक्ष पर भी प्रकाश डालेंगे।

1. घटस्थापना का महत्त्व

घटस्थापना का अर्थ है ‘घट’ यानी कलश की स्थापना। यह कलश शक्ति और शक्ति के प्रतीक के रूप में पूजित किया जाता है। घटस्थापना नवरात्रि की शुरुआत का सूचक है, जिसमें देवी दुर्गा के आगमन का स्वागत किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस अनुष्ठान से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है और देवी दुर्गा की कृपा से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं।

घटस्थापना को केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि भक्ति, विश्वास, और नारी शक्ति की उपासना का प्रतीक माना जाता है। देवी के नौ रूपों की पूजा घटस्थापना के बाद आरंभ होती है, जो पूरे नवरात्रि तक चलती है।

2. घटस्थापना 2024 का शुभ मुहूर्त

घटस्थापना 2024 का शुभ मुहूर्त बहुत ही महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इसे शुभ समय पर करना आवश्यक माना जाता है। गलत समय पर घटस्थापना करने से पूजा का पूरा फल नहीं मिलता है। कलश स्थापना के लिए कलाशास्त्र और पंचांग की सहायता से सही मुहूर्त का चयन किया जाता है।

घटस्थापना का सही समय नवरात्रि के पहले दिन की सुबह होता है, जब देवी के आह्वान के लिए वातावरण सबसे अनुकूल होता है। घटस्थापना के लिए प्रतिपदा तिथि के दौरान शुभ समय का ध्यान रखना चाहिए।

2024 में घटस्थापना का शुभ मुहूर्त निम्नलिखित है:

  • तिथि: 3 ऑक्टोबर 2024
  • शुभ मुहूर्त: सुबह 6:15 से 7:45 बजे
  • इसके अलावा, कलश स्थापना का समय भी पंचांग और कुंडली के आधार पर बदल सकता है, इसलिए उचित जानकारी के लिए स्थानीय पंडित से परामर्श करना उत्तम है।

3. घटस्थापना की विधि

घटस्थापना की पूजा विधि बहुत ही विस्तृत और विशेष है। इसे विधिवत तरीके से करने के लिए आवश्यक सामग्री और कदमों का सही-सही पालन करना जरूरी है।

आवश्यक सामग्री:

  • मिट्टी या तांबे का कलश
  • पानी
  • आम के पत्ते
  • नारियल
  • लाल कपड़ा
  • कलावा (मौली)
  • रोली और चावल
  • फूल, फल, और दूर्वा
  • गेहूँ या जौ (अंकुरण के लिए)

घटस्थापना की विधि:

  1. सबसे पहले पूजा स्थल को स्वच्छ करें और वहाँ एक साफ चौकी रखें।
  2. मिट्टी की परत पर गेहूँ या जौ बो दें।
  3. कलश में गंगाजल या स्वच्छ जल भरें और उसमें दूर्वा, सिक्के और सुपारी डालें।
  4. कलश के मुख पर आम के पत्ते रखें और उसके ऊपर नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर स्थापित करें।
  5. इसके बाद, कलश के पास देवी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और उनकी विधिवत पूजा करें।
  6. देवी दुर्गा की आरती करें और भोग अर्पित करें।

घटस्थापना के साथ देवी के आह्वान का मंत्र भी पढ़ा जाता है, जिससे पूजा की पवित्रता और बढ़ जाती है।

घटस्थापना की परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है। वैदिक काल में भी जल और प्रकृति के प्रतीकों का महत्व था, और घटस्थापना इस प्राचीन परंपरा का हिस्सा मानी जाती है। घट या कलश को धन, समृद्धि और शक्ति का प्रतीक माना जाता है।

विभिन्न कालखंडों में घटस्थापना के रूप और तरीकों में भले ही कुछ बदलाव हुए हों, लेकिन इसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व कभी नहीं बदला। यह परंपरा आज भी उसी श्रद्धा और विधि से निभाई जाती है, जैसे सदियों पहले निभाई जाती थी।

5. घटस्थापना से जुड़ी पौराणिक कथाएँ

घटस्थापना से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ हैं, जिनमें सबसे प्रमुख कथा देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच के युद्ध की है। घटस्थापना के दौरान देवी दुर्गा का आह्वान किया जाता है, जो महिषासुर का संहार करने के लिए पृथ्वी पर आई थीं।

इस युद्ध के प्रतीक रूप में घटस्थापना को देखा जाता है, जिसमें शक्ति का प्रतीक घट या कलश स्थापित किया जाता है और नौ दिनों तक देवी की पूजा की जाती है, ताकि जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मकता और विघ्नों का नाश हो सके।

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, घट को देवताओं के अमृत का प्रतीक माना जाता है, जिसे समुद्र मंथन के दौरान प्राप्त किया गया था। इस कथा के माध्यम से घटस्थापना का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।

6. घटस्थापना और नवरात्रि का संबंध

घटस्थापना और नवरात्रि का गहरा संबंध है। घटस्थापना के बिना नवरात्रि की पूजा अधूरी मानी जाती है। नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और घटस्थापना के बाद ही यह आरंभ होता है।

घटस्थापना के साथ देवी का आह्वान किया जाता है, और नौ दिनों तक उन्हें आमंत्रित कर उनकी पूजा की जाती है। यह देवी के स्वागत और उनके आशीर्वाद के प्रतीक के रूप में माना जाता है। नवरात्रि के दौरान इस घट की पूजा एक महत्वपूर्ण कर्मकांड है।

7. घटस्थापना की आध्यात्मिक दृष्टि

आध्यात्मिक दृष्टि से घटस्थापना एक बहुत महत्वपूर्ण कर्मकांड है, जो आत्मा की शुद्धि और मन की स्थिरता के लिए किया जाता है। कलश, जो देवी का प्रतीक है, उसे शक्ति, समृद्धि, और जीवन की शुद्धि का स्रोत माना जाता है।

कलश की स्थापना का आध्यात्मिक अर्थ यह है कि व्यक्ति अपने भीतर की नकारात्मकता को त्यागकर, देवी शक्ति के आशीर्वाद से अपने जीवन को नई दिशा और ऊर्जा प्रदान करता है। घटस्थापना से मन, शरीर, और आत्मा का संतुलन प्राप्त होता है।

8. घटस्थापना में प्रयोग की जाने वाली सामग्री

घटस्थापना में कई धार्मिक और प्रतीकात्मक सामग्रियों का उपयोग होता है। ये सामग्रियाँ विशेष रूप से घटस्थापना की पूजा विधि को पवित्र और प्रभावी बनाने के लिए चुनी जाती हैं।

मुख्य सामग्रियाँ:

  1. कलश: शक्ति और समृद्धि का प्रतीक।
  2. नारियल: देवी का स्वरूप माना जाता है।
  3. आम के पत्ते: पवित्रता और शुभता का प्रतीक।
  4. गेहूँ या जौ: नई शुरुआत और समृद्धि का प्रतीक।
  5. दूर्वा: पवित्रता और देवी के आशीर्वाद का प्रतीक।

इन सामग्रियों का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व अत्यधिक है, और इनका सही प्रयोग पूजा की सफलता सुनिश्चित करता है।

9. घटस्थापना की पूजा विधि

घटस्थापना की पूजा विधि कुछ मुख्य चरणों में विभाजित होती है। इसे सही तरीके से करने से देवी की कृपा प्राप्त होती है।

पूजा विधि:

  1. पूजा स्थल की साफ-सफाई करें।
  2. कलश स्थापित करें, उसमें जल, सिक्के, दूर्वा, और सुपारी डालें।
  3. नारियल और आम के पत्तों से कलश को सजाएँ।
  4. देवी दुर्गा की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप जलाएँ।
  5. देवी का आह्वान करें और मंत्रों का जाप करें।
  6. फूल, फल, और मिठाई का भोग अर्पित करें।

घटस्थापना 2024: शुभ मुहूर्त, विधि और महत्त्व
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10. घटस्थापना के साथ जुड़ी परंपराएँ और रीति-रिवाज

घटस्थापना के साथ कई पारंपरिक रीति-रिवाज भी जुड़े हुए हैं। हर क्षेत्र में इस पूजा को अलग-अलग तरीकों से किया जाता है, लेकिन इसका मूल उद्देश्य देवी की कृपा प्राप्त करना होता है।

कुछ जगहों पर घटस्थापना के बाद देवी की मूर्ति को सजाने की परंपरा होती है, जबकि कुछ स्थानों पर पूरे घर को सजाया जाता है। इसके साथ ही, नवरात्रि के दौरान उपवास रखने और प्रतिदिन देवी की आरती करने की परंपरा भी है।

11. घटस्थापना से जुड़े प्रमुख स्थल

भारत में कई स्थान घटस्थापना और नवरात्रि के लिए प्रसिद्ध हैं। विशेष रूप से वैष्णो देवी मंदिर, कन्याकुमारी, कालीघाट, और चामुंडा देवी मंदिर में घटस्थापना के साथ भव्य नवरात्रि समारोह होते हैं।

महाराष्ट्र में कोल्हापुर का महालक्ष्मी मंदिर और गुजरात में अंबाजी मंदिर घटस्थापना के दौरान देवी की पूजा के लिए प्रसिद्ध स्थल हैं।

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घटस्थापना 2024 न केवल नवरात्रि का प्रारंभिक चरण है, बल्कि यह देवी दुर्गा के आह्वान का प्रतीक है। घटस्थापना की पूजा से भक्तों को शक्ति, शांति, और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस धार्मिक अनुष्ठान को सही विधि और शुभ मुहूर्त में करना आवश्यक है, ताकि देवी का आशीर्वाद प्राप्त हो और जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन हो।

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