हरितालिका तीज व्रत 2025 एक पवित्र उपवास है जिसे सख्त नियमों के साथ किया जाता है। यह व्रत भक्ति, शुद्धता और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है। महिलाएं इसे गहरी आस्था के साथ मानती हैं और पूरा दिन प्रार्थना और पूजा में समर्पित करती हैं।
हरितालिका तीज व्रत
हरितालिका तीज एक पवित्र व्रत है जिसे महिलाएं गहन श्रद्धा और अनुशासन के साथ करती हैं। इस व्रत का मुख्य उद्देश्य कठोर उपवास का पालन है, जो समर्पण, प्रेम और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है। अन्य कई पर्वों से अलग, हरितालिका तीज व्रत अत्यंत कठिन माना जाता है और इसे महिलाएं अटूट विश्वास के साथ निभाती हैं। इस लेख में हम केवल हरितालिका तीज व्रत 2025 के उपवास नियमों पर ध्यान केंद्रित करेंगे और उन्हें विस्तार से समझाएँगे।

हरितालिका तीज व्रत 2025 के आवश्यक उपवास नियम
संकल्प
उपवास शुरू करने से पहले संकल्प लेना आवश्यक है। यह संकल्प व्रत की आध्यात्मिक भावना को निर्धारित करता है। महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं, स्वच्छ वस्त्र पहनती हैं और दिनभर समर्पण के लिए मन को तैयार करती हैं। folded हाथों से वे माता पार्वती और भगवान शिव से प्रार्थना करती हैं कि वे इस व्रत को पूर्ण श्रद्धा से निभाएंगी।
पवित्रता और स्वच्छता
व्रत में शारीरिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार की शुद्धता पर जोर दिया जाता है। शरीर और वातावरण की स्वच्छता बनाए रखना अनिवार्य है। महिलाएं प्रायः हरे या लाल जैसे शुभ रंगों की पारंपरिक वेशभूषा धारण करती हैं, जो समृद्धि और भक्ति का प्रतीक है।
उपवास के प्रकार
हरितालिका तीज में दो मुख्य प्रकार के उपवास किए जाते हैं, जो व्यक्ति की क्षमता और स्वास्थ्य पर निर्भर करते हैं:
- निर्जला व्रत: यह सबसे कठोर व्रत है जिसमें पूरे दिन और रात भोजन और जल का त्याग किया जाता है। इसे सबसे प्रभावी और आध्यात्मिक रूप से फलदायी माना जाता है।
- फलाहार व्रत: जो महिलाएं निर्जला व्रत नहीं कर सकतीं वे इसे अपनाती हैं। इसमें पूजा के बाद केवल फल, दूध या साधारण सात्विक भोजन ग्रहण किया जाता है। अनाज और नमक का सेवन पूर्णतः वर्जित है।
अनाज और नमक का त्याग
हरितालिका तीज व्रत में भोजन संबंधी नियम बहुत सख्त होते हैं। महिलाएं अनाज, दालें और नमक का पूरी तरह त्याग करती हैं। फल, दूध या प्राकृतिक आहार ही लिया जा सकता है यदि फलाहार व्रत रखा जाए।
भक्ति और साधना
व्रत केवल भोजन त्यागने का ही नहीं बल्कि भक्ति और साधना का भी प्रतीक है। महिलाएं दिनभर प्रार्थना, ध्यान और भगवान शिव-पार्वती के नाम का जाप करती हैं। यह उपवास आध्यात्मिक अनुशासन और भक्ति दोनों को जोड़ता है।
पूजा विधि
शाम के समय महिलाएं अत्यंत श्रद्धा के साथ पूजा करती हैं। भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियों का फूल, कुमकुम, हल्दी, फल और अन्य पवित्र सामग्रियों से पूजन किया जाता है। हरितालिका तीज व्रत कथा का पाठ या श्रवण इस पूजा का आवश्यक हिस्सा है।
रात्रि जागरण
कई महिलाएं पूरी रात जागकर भजन-कीर्तन करती हैं और मंत्रों का जाप करती हैं। यह माना जाता है कि इससे व्रत का प्रभाव और भी अधिक बढ़ता है।
व्रत का पारण
व्रत का समापन अगले दिन प्रार्थना के बाद किया जाता है। महिलाएं पहले जल ग्रहण करती हैं और फिर हल्का सात्विक भोजन करती हैं। पारण के बाद भी प्याज, लहसुन और मांसाहारी भोजन से परहेज किया जाता है।
स्वास्थ्य संबंधी विचार
यद्यपि यह व्रत आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत फलदायी है, परंतु शारीरिक रूप से कठिन भी है। जो महिलाएं निर्जला व्रत नहीं कर सकतीं, वे फलाहार व्रत का पालन करें। गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग या बीमार व्यक्ति अपनी सेहत को प्राथमिकता दें और डॉक्टर की सलाह लेकर ही व्रत रखें। व्रत से एक दिन पहले पर्याप्त जल का सेवन करना भी सहायक होता है।
अंत में
हरितालिका तीज व्रत 2025 गहन श्रद्धा का प्रतीक है, जिसमें उपवास का पालन सबसे महत्वपूर्ण है। इसके नियम कठोर हैं, परंतु यह मन और शरीर दोनों को शुद्ध करते हैं और आस्था को मजबूत बनाते हैं। निर्जला हो या फलाहार व्रत, सबसे बड़ा महत्व भक्ति और सच्चे समर्पण का है। इन उपवास नियमों का पालन करके महिलाएं माता पार्वती की तपस्या का सम्मान करती हैं और ईश्वरीय कृपा से सुखी और समृद्ध जीवन प्राप्त करती हैं।
अंग्रेजी में पढ़ें : Hartalika Teej Vrat 2025 : Fasting Rules You Must Follow
Last Updated on सितम्बर 4, 2025 by Hinditerminal.com