परशुराम जयंती हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है जो भगवान परशुराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। भगवान परशुराम को भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है। वे एक तपस्वी योद्धा थे, जो धर्म की स्थापना और अधर्म के विनाश हेतु अवतरित हुए। रामायण, महाभारत और पुराणों में उनके अद्भुत पराक्रम और न्यायप्रियता के अनेक वर्णन मिलते हैं।

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परशुराम जयंती
वर्ष 2025 में परशुराम जयंती पूरे भारत में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाएगी, विशेषकर उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और दक्षिण भारत में। इस वर्ष यह पर्व विशेष रूप से ब्राह्मण समाज, धार्मिक संगठनों और भगवान विष्णु के भक्तों द्वारा धूमधाम से मनाया जाएगा।
आइए जानें परशुराम जयंती 2025 की तिथि, पूजा विधि, मंत्र और आध्यात्मिक महत्व।
परशुराम जयंती 2025 की तिथि और समय
तिथि: मंगलवार, 29 अप्रैल 2025
तिथि (पंचांग अनुसार): वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि
तृतीया तिथि प्रारंभ: 29 अप्रैल 2025 को शाम 05:31 बजे
तृतीया तिथि समाप्त: 30 अप्रैल 2025 को दोपहर 02:12 बजे
पूजा मुहूर्त: प्रातः 06:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक (भगवान परशुराम की पूजा के लिए उत्तम समय)
परशुराम जयंती वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। वर्ष 2025 में यह पर्व अक्षय तृतीया के दिन ही पड़ रहा है, जिससे इसका धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है।
परशुराम जयंती का महत्व
परशुराम जयंती केवल भगवान परशुराम के जन्मोत्सव का दिन नहीं है, बल्कि यह धर्म, साहस और कर्तव्य परायणता के प्रतीक पुरुष को स्मरण करने का अवसर भी है।
भगवान परशुराम को एक महान योद्धा और तपस्वी के रूप में जाना जाता है। उन्होंने समाज में फैले अन्याय और अधर्म को समाप्त करने के लिए 21 बार क्षत्रियों का संहार किया। वे अमर (चिरंजीवी) माने जाते हैं और ऐसी मान्यता है कि वे आज भी तपस्या में लीन हैं।
ब्राह्मण समाज के लिए यह पर्व विशेष महत्व रखता है, क्योंकि भगवान परशुराम ब्रह्मतेज और क्षात्रतेज के समन्वय का प्रतीक माने जाते हैं।
परशुराम जयंती पर घर में कैसे मनाएं
इस पावन अवसर पर श्रद्धालु भगवान परशुराम की आराधना और विभिन्न धार्मिक क्रियाएं करते हैं। आइए जानें कि आप घर में कैसे इस पर्व को मना सकते हैं:
- प्रभात स्नान: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
- पूजा स्थल की सफाई: पूजा स्थान को अच्छे से साफ कर लें और फूलों व रंगोली से सजाएं।
- भगवान परशुराम की प्रतिमा स्थापित करें: एक चित्र या मूर्ति को स्वच्छ स्थान पर रखें।
- पंचामृत व नैवेद्य अर्पित करें: दूध, फल, तुलसी, चंदन, फूल और मिठाई अर्पित करें।
- दीपक और अगरबत्ती जलाएं: घी का दीपक और अगरबत्ती प्रज्वलित करें।
- मंत्र जाप करें: भगवान परशुराम से संबंधित मंत्रों का जाप करें।
- धार्मिक ग्रंथ पढ़ें: विष्णु पुराण, महाभारत या स्कंद पुराण में वर्णित परशुराम कथा पढ़ें।
- दान और सेवा: ब्राह्मणों, गरीबों या मंदिर में अन्न या धन का दान करें।
- व्रत पालन करें: दिनभर व्रत रखें और शाम को फलाहार करें या अगले दिन व्रत का पारण करें।
परशुराम जयंती पर बोले जाने वाले मंत्र
1. परशुराम गायत्री मंत्र:
“ओं जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि।
तन्नो परशुराम प्रचोदयात्।”
इस मंत्र के जाप से पापों का नाश होता है, साहस प्राप्त होता है और भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
निष्कर्ष
परशुराम जयंती 2025 एक ऐसा पर्व है जो हमें धर्म, आत्मानुशासन और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। यह पर्व 29 अप्रैल 2025 को मनाया जाएगा, जो एक अत्यंत शुभ और पुण्यदायक तिथि है।
भगवान परशुराम की पूजा, उपवास, मंत्र जाप और दान आदि के माध्यम से भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है और जीवन में सकारात्मकता आती है।
भगवान परशुराम सभी को साहस, ज्ञान और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्र.1: परशुराम जयंती 2025 में कब है?
29 अप्रैल 2025, मंगलवार को।
प्र.2: क्या परशुराम जयंती और अक्षय तृतीया एक ही दिन है?
जी हां, 2025 में दोनों पर्व एक ही दिन यानी वैशाख शुक्ल तृतीया को पड़ रहे हैं।
प्र.3: इस दिन क्या करना चाहिए?
व्रत, पूजन, मंत्र जाप और दान करें। धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें।
प्र.4: क्या भगवान परशुराम आज भी जीवित हैं?
हां, वे चिरंजीवी माने जाते हैं और आज भी तपस्या में लीन हैं।
प्र.5: ब्राह्मणों के लिए यह पर्व क्यों विशेष है?
क्योंकि भगवान परशुराम को ब्राह्मण योद्धा और ब्राह्मण समाज का गौरव माना जाता है।